बुंदेलखंड में ‘भूजल पुनर्भरण प्रणाली’ पर प्रक्षेत्र दिवस का आयोजन
बुंदेलखंड के सूखा प्रभावित क्षेत्रों में पानी की कमी और भूजल स्तर गिरने जैसी गंभीर चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय...
बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय में वैज्ञानिक तकनीकों से जल संरक्षण पर विशेषज्ञों ने दी महत्वपूर्ण जानकारी
बांदा। बुंदेलखंड के सूखा प्रभावित क्षेत्रों में पानी की कमी और भूजल स्तर गिरने जैसी गंभीर चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय में शुक्रवार को ‘बुंदेलखंड में भूजल पुनर्भरण प्रणाली’ विषय पर प्रक्षेत्र दिवस का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद (उपकार) द्वारा वित्त पोषित शोध परियोजना के अंतर्गत आयोजित किया गया, जिसका उद्देश्य भूजल संरक्षण एवं पुनर्भरण की उन्नत वैज्ञानिक तकनीकों को बढ़ावा देना था।
कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि डॉ. अभय यादव, उप निदेशक कृषि, बांदा द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। इस अवसर पर निदेशक शोध प्रो. जगन्नाथ पाठक, निदेशक पीएमएसी प्रो. ए.के. श्रीवास्तव, अधिष्ठाता वानिकी महाविद्यालय प्रो. संजीव कुमार, तथा विभागाध्यक्ष डॉ. शरद कुमार सिंह उपस्थित रहे।
डॉ. यादव ने संबोधन में कहा कि बुंदेलखंड में बढ़ती जल संकट की समस्या से निपटने के लिए वैज्ञानिक शोध, सामुदायिक सहभागिता और व्यावहारिक जल प्रबंधन तकनीकों का संयोजन अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा विकसित रिचार्ज पिट, परमोलेशन डैम, रूफ वाटर हार्वेस्टिंग मॉडल और फार्म जलाशय को क्षेत्रीय जल संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण बताया।
विशेषज्ञों ने प्रतिभागियों को रन ऑफ कैप्चर तकनीक, डिजिटल जल प्रबंधन, मृदा संरक्षण आधारित जल संचयन, भूजल गुणवत्ता विश्लेषण सहित कई उन्नत उपायों की जानकारी दी।
परियोजना अन्वेषक डॉ. अरविंद गुप्ता, सहायक प्राध्यापक, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन ने बताया कि परियोजना के दौरान जल नमूनों में आरएससी, क्लोराइड, कार्बोनेट, बाइकार्बोनेट तथा एसएआर मानों में उल्लेखनीय सुधार देखा गया है। एफएओ (1994) मानकों के अनुसार सिंचाई योग्य जल गुणवत्ता में भी बेहतर परिणाम सामने आए हैं।
प्रतिभागियों को विश्वविद्यालय में विकसित विभिन्न रिचार्ज मॉडल्स का प्रक्षेत्र भ्रमण कराया गया। कार्यक्रम में क्षेत्र के प्रगतिशील किसान, कृषि विभाग के प्रसार कार्यकर्ता तथा विद्यार्थी शामिल हुए। अतिथियों ने परियोजनाओं की सराहना करते हुए कहा कि जल संरक्षण के प्रयासों में युवाओं की भागीदारी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
समापन समारोह में निदेशक शोध प्रो. जगन्नाथ पाठक ने सभी वैज्ञानिकों, अधिकारियों, प्रतिभागियों और छात्रों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय जल संरक्षण और प्रवर्धन से जुड़े अनुसंधान को और अधिक मजबूती प्रदान करेगा और किसानों को उपयोगी तकनीकों से लाभान्वित करने के लिए निरंतर प्रयास करता रहेगा।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. अरविंद गुप्ता ने किया।
इस अवसर पर निदेशक डॉ. राजीव उमराव, डॉ. देव कुमार, डॉ. अवनीश शर्मा, डॉ. चंद्रकान्त तिवारी, डॉ. दिनेश गुप्ता, डॉ. शशांक शेखर सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं और प्रतिभागी मौजूद रहे।
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