करवाचौथ : छलनी से क्यों देखते है चांद और सजना का चेहरा
चांद देखने की परंपरा करवा चैथ के व्रत की कथा से जुड़ी हुई है कथा के अनुसार चार भाईयों ने अपनी बहन को स्नेहवश भोजन कराने के लिए छल से चांद..
 
                                    चांद देखने की परंपरा करवा चैथ के व्रत की कथा से जुड़ी हुई है। कथा के अनुसार चार भाईयों ने अपनी बहन को स्नेहवश भोजन कराने के लिए छल से चांद दिखाया।
छलनी से चांद देखने का रहस्य छल से बचने के लिए छलनी का इस्तेमाल किया जाता है। दरअसल छलनी के जरिए बहुत बारीकी से चांद को देखा जाता है और तभी व्रत खोला जाता है।
यह भी पढ़ें - मराठा शासक ने बनवाया था बाँदा में काली देवी मंदिर
क्या आप जानती हैं कि आखिर ऐसा क्यों किया जाता है, क्यों करवाचैथ की रात को छलनी से चांद देखकर ही व्रत तोड़ा जाता है, जानिये क्या है इसका महत्व..
करवाचैथ की शाम को छलनी देखने के पीछे एक कथा है. काफी समय पहले एक साहूकार था. उसकी बेटी ने पति की लंबी आयु के लिए करवा चैथ का व्रत रखा. लेकिन भूख से उसकी हालत खराब होने लगी।
साहूकार के 4 बेटे थे. साहूकार के बेटों ने बहन से खाना खाने को कहा. लेकिन साहूकार की बेटी ने खाने से मना कर दिया। भाइयों से जब बहन की हालत देखी नहीं गई तो उन्होंने चांद निकलने से पहले ही एक पेड़ की आड़ छलनी के पीछे एक जलता हुआ दीपक रखकर बहन को कहा कि चांद निकल आया है, तब उनकी बहन ने दीपक को चांद समझकर अपना व्रत खोल लिया।
यह भी पढ़ें - बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे, लीजिये पूरी जानकारी
छल से बचने के लिए छलनी का इस्तेमाल
व्रत खोलने के बाद उसके पति की मुत्यु हो गई, माना जाता है कि असली चांद को देखे बिना व्रत खोलने की वजह से ही उसके पति की मृत्यु हुई।यहीं से स्वयं अपने हाथ में छलनी लेकर चांद को देखने के बाद पति को देखकर करवा चैथ का व्रत खोलने की परंपरा शुरू हुई, ताकि कोई छल-कपट से किसी का व्रत न तुड़वा सके।करवा चैथ के व्रत की रात चांद को महिलाएं छलनी में से देखती हैं और फिर उसी छलनी में से देखा जाता है पति का चेहरा लेकिन अक्सर ये सवाल मन में उठता रहता है कि इस परपंरा के पीछे कारण क्या है. दरअसल, छल से बचने के लिए छलनी का इस्तेमाल किया जाता है।
गलती सुधार के लिए अगले साल किया व्रत
अपनी इस भयंकर भूल का अहसास जब करवा को हुआ तो उसने अगले साल कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी पर फिर से करवा माता को निमित्त ये व्रत विधि विधान से किया. और हर छल से बचने के लिए इस बार हाथ में छलनी लेकर चंद्र देव के दर्शन किए. इससे प्रसन्न होकर माता ने उसके व्रत को स्वीकार किया और पति को जीवित कर दिया. तब से लेकर अब तक हमेशा छलनी में से ही चांद देखने की परंपरा है।
यह भी पढ़ें - सैकड़ों साल का इतिहास संजोये है बांके बिहारी मंदिर
What's Your Reaction?
 Like
        0
        Like
        0
     Dislike
        0
        Dislike
        0
     Love
        0
        Love
        0
     Funny
        0
        Funny
        0
     Angry
        0
        Angry
        0
     Sad
        0
        Sad
        0
     Wow
        0
        Wow
        0
     
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 




 
                                                                                                                                                     
                                                                                                                                                     
                                                                                                                                                     
                                                                                                                                                     
                                                                                                                                                     
                                                                                                                                                     
                                             
                                             
                                             
                                             
                                             
                                             
                                             
                                            