राजकोट में 200 करोड़ रुपए के खर्च से बनने वाले वृद्धाश्रम का भूमिपूजन
श्रीराम कथाकार मोरारी बापू ने रविवार को राजकोट-जामनगर रोड स्थित पडधरी के निकट बनने वाले देश के सबसे बड़े वृद्धाश्रम का भूमिपूजन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि वृद्ध और वृक्ष दोनों ..
 
                                वृद्ध और वृक्ष दोनों छाया देते हैं, दोनों का जतन कर रहा सद्भावना वृद्धाश्रम : मोरारी बापू
मोरारी बापू ने किया भूमिपूजन, 2100 बुजुर्गों के लिए होगी रहने की व्यवस्था
राजकोट/अहमदाबाद, श्रीराम कथाकार मोरारी बापू ने रविवार को राजकोट-जामनगर रोड स्थित पडधरी के निकट बनने वाले देश के सबसे बड़े वृद्धाश्रम का भूमिपूजन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि वृद्ध और वृक्ष दोनों छाया देते हैं, इन दोनों का जतन करने का काम सदभावना वृद्धाश्रम कर रहा है। इस काम में दाताओं का अद्भुत सहयोग मिल रहा है। इसकी वे सराहना करते हैं। भूमिपूजन समारोह में वृद्धाश्रम के लिए कुछ ही घंटों में 50 करोड़ रुपए इकट्ठा हो गए।
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मानव सेवा चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से बनाए जाने वाले वृद्धाश्रम को 30 एकड़ जमीन में बनाया जाएगा, जिस पर कुल 200 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। इसमें 700 लक्जरियस कमरे होंगे, जिसमें 2100 बुजुर्गों के रहने की व्यवस्था होगी। वृद्धाश्रम की खासियत होगी इसकी सभी मंजिल पर छत होगा।
राजकोट में मानव सेवा चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से 8 वर्ष से सदभावना वृद्धाश्रम का संचालन किया जा रहा है। इसमें बगैर किसी जाति-धर्म का भेदभाव किए सभी जरूरतमंदों वृद्धों को नियमानुसार रखा जाता है। हाल इस वृद्धाश्रम में 500 बुजुर्गों के रहने की व्यवस्था है। इनमें 180 बुजुर्ग बीमार हैं, जिससे उन्हें बिस्तर पर ही सभी सुविधा उपलब्ध कराई जाती है।
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सदभावना वृद्धाश्रम की ओर से अब नए बिल्डिंग का निर्माण कार्य शुरू होगा। रविवार को इसका देश भर से आए गणमान्य अतिथियों की मौजूदगी में भूमिपूजन किया गया। सदभावना वृद्धाश्रम के संचालक विजय डोबरिया ने बताया कि प्रस्तावित यह देश का सबसे बड़ा वृद्धाश्रम होगा। इसमें बिल्डिंग में कुल 7 टावर में 700 कमरों का निर्माण कराया जाएगा। बिस्तर पर पहुंच चुके बुजुर्गों की देखभाल के लिए टीम होगी जो 24 घंटे, 365 दिन काम करेगी। सभी जगहों पर व्हील चेयर समेत अन्य सभी सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
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बिल्डिंग के सभी टावर में 100 कमरे होंगे। सभी कमरों की बनावट हवा और रोशनी के लिए खुली-खुली होगी। साथ ही पर्यावरण और हरियाली का भी विशेष ध्यान रखा जाएगा। जैन समाज के लिए एक पूरा टावर अलग होगा। जैन बुजुर्गों को उनके अनुसार भोजन व्यवस्था की जाएगी।
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हिस
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