केन–बेतवा लिंक पर काम शुरू होने का हवाला देकर बांदा को मिला ‘जीरो’ बजट

केन–बेतवा लिंक परियोजना के पेच में फंसा नहरों की सफाई का मुद्दा अब किसानों की मुश्किलें बढ़ा रहा है...

Dec 5, 2025 - 14:25
Dec 5, 2025 - 14:58
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केन–बेतवा लिंक पर काम शुरू होने का हवाला देकर बांदा को मिला ‘जीरो’ बजट

बांदा। केन–बेतवा लिंक परियोजना के पेच में फंसा नहरों की सफाई का मुद्दा अब किसानों की मुश्किलें बढ़ा रहा है। चित्रकूटधाम मंडल के तीन जनपदों — महोबा, हमीरपुर और चित्रकूट — में सिंचाई विभाग ने नहरों की सफाई पर 191 लाख रुपये खर्च कर दिए, लेकिन बांदा जनपद को एक भी रुपया बजट नहीं मिला। नतीजा यह है कि बांदा की करीब 700 किमी लंबी नहरों में सिल्ट और झाड़ियों का अंबार लगा है, जिससे पानी टेल तक पहुंच ही नहीं पा रहा।

किसानों का कहना है कि रबी सीजन में गेहूं की सिंचाई के लिए पानी की आवश्यकता अत्यधिक है, लेकिन नहरें जगह-जगह टूटी हैं और सिल्ट ऊपर तक जमी होने के कारण पानी कुछ ही दूरी में बहकर बर्बाद हो जाता है।
स्थिति सिर्फ बांदा की ही नहीं, अन्य जनपदों में भी कागजों पर सफाई दिखाकर फाइलें बंद कर दी गईं, जबकि जमीनी हकीकत में नहरों में सिल्ट जस की तस पड़ी है। परिणामस्वरूप पानी अंतिम छोर तक पहुंचने से पहले ही ओवरफ्लो होकर बाहर निकल जाता है।

चार्ट

मंडल में इस वर्ष नहरों की सफाई में खर्च (लाख रुपये में)

जनपद किलोमीटर खर्च (लाख में)
चित्रकूट 340 65
महोबा 494 85
हमीरपुर 132 41
योग 966 191

इनसेट – केन-बेतवा लिंक परियोजना

साल 2002 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा शुरू की गई इस परियोजना का उद्देश्य बुंदेलखंड में बारिश के पानी को संरक्षित कर सिंचाई और पेयजल संकट दूर करना है।
मध्य प्रदेश में दोधन बांध निर्माणाधीन है, जहां से 220 किमी लंबी नहर बनाकर केन और बेतवा नदियों को जोड़ा जाएगा।
परियोजना से —

  • करीब 9 लाख हेक्टेयर भूमि सिंचित होगी,

  • 41 लाख लोगों को पेयजल मिलेगा,

  • बुंदेलखंड के 13 जनपदों सहित बांदा को व्यापक लाभ मिलेगा,

  • झांसी, ललितपुर, हमीरपुर, महोबा और बांदा के 21 लाख लोगों को 67 मिलियन क्यूबिक मीटर पीने का पानी उपलब्ध होगा,

  • 2.51 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई व्यवस्था सुधरेगी।

भाजपा विधायक ने जताई थी चिंता

सत्तारूढ़ दल के शिक्षक विधायक (विधान परिषद) ने पिछले वर्ष मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर नहरों की दुर्दशा पर चिंता जताई थी। उन्होंने अपने पैतृक गांव जरर (नरैनी) का उदाहरण देते हुए बताया था कि यहां पिछले 60 वर्षों में एक बार भी नहर में पानी नहीं आया।
उन्होंने सुझाव दिया था कि यदि सिंचाई विभाग नहर से पानी नहीं पहुंचा पा रहा है तो केन नदी से पंप कैनाल योजना बनाकर गांव के बड़े तालाब तक पानी उपलब्ध कराया जाए।

“इस वर्ष जनपद बांदा को नहरों की सिल्ट सफाई का बजट नहीं मिला है। शासन से कई बार मांग की गई। कारण यह बताया गया है कि केन–बेतवा गठजोड़ पर काम शुरू होने वाला है और नहरों को नए सिरे से सृजित किया जाना है।”
उस्मान, अधीक्षण अभियंता, बांदा

Courtesy: Amar Ujala

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