राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में गूंजे ओजपूर्ण स्वर, श्रोताओं ने की वाह-वाह

श्री गणेश महोत्सव के अंतर्गत श्री गणेश भवन में आयोजित राष्ट्रीय कवि सम्मेलन ने साहित्य और संस्कृति की एक नई छटा बिखेरी...

Sep 8, 2025 - 15:32
Sep 8, 2025 - 18:15
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राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में गूंजे ओजपूर्ण स्वर, श्रोताओं ने की वाह-वाह

बाँदा। श्री गणेश महोत्सव के अंतर्गत श्री गणेश भवन में आयोजित राष्ट्रीय कवि सम्मेलन ने साहित्य और संस्कृति की एक नई छटा बिखेरी। कवि सम्मेलन का शुभारंभ भाजपा जिलाध्यक्ष कल्लू सिंह राजपूत एवं नरैनी विधायक श्रीमती ओम मणि वर्मा ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया।

उद्घाटन अवसर पर अतिथियों ने कहा कि कविता समाज का आईना होती है। कवि समाज की वास्तविक तस्वीर को सामने रखता है ताकि जिम्मेदार लोग समाधान की दिशा में कदम बढ़ा सकें और आमजन को कठिनाइयों से मुक्ति मिले।

सम्मेलन में अयोध्या, लखनऊ, आगरा, धौलपुर, ललितपुर, झांसी, उरई एवं बाँदा से आए कवियों ने अपनी बेहतरीन प्रस्तुतियों से श्रोताओं का दिल जीत लिया। हॉल तालियों और वाह-वाह से गूंज उठा।

इस अवसर पर प्रमुख कवियों ने अपनी प्रभावशाली रचनाएँ प्रस्तुत कीं—

  • हरि बहादुर हर्ष (प्रतापगढ़) ने कहा—
    “बल, बुद्धि, पराक्रम के सागर जिनके आयुध धनुसायक हैं,
    वह पुरुषोत्तम, भारत गौरव, प्रभु राम हमारे नायक हैं।”

  • अतुल बाजपेयी (लखनऊ) ने राजनीति पर कटाक्ष करते हुए कहा—
    “जितने ईमानदार हैं, पद पे बिठालिये,
    जितने हैं बेईमान, बे जेलों में डालिये।”

  • अखिलेश शांडिल्य (ललितपुर) ने समाजिक विडंबनाओं पर प्रहार किया—
    “नदी के घाट पर भी गर सियासी लोग बस जायें,
    तो प्यासे होंठ इक-इक बूंद पानी को तरस जायें।”

  • जमुना प्रसाद उपाध्याय (अयोध्या) ने कहा—
    “हमारी कहानी पुरानी बहुत है, मगर इसके दरिया में पानी बहुत है।”

  • शफीकुर्रहमान ‘कश्फ़ी’ (उरई) ने इश्क़ की नजाकत को कुछ यूं पेश किया—
    “मैंने दुआ में मांगी थी आंखों की रोशनी,
    हैरान हूं कि आपका दीदार हो गया।”

  • अख्तर जलील "अख्तर" (ललितपुर) ने आतंकवाद पर प्रहार करते हुए कहा—
    “पाला था पाक ने जो भ्रम सब दूर हो गया,
    जेहादियों का सपना चूर-चूर हो गया।”

  • रामबाबू सिकरवार (धौलपुर, राजस्थान) ने मां की स्तुति में कहा—
    “माँ तेरी जय हो, माँ तेरी जय हो,
    तेरी कृपा से सबकी विजय हो।”

  • ममता वाणी (आगरा), अर्जुन सिंह चाँद (झांसी), कवि प्रदीप दिहुलिया (चरखारी) और वीरेन्द्र तिवारी (उरई) ने भी अपनी शानदार कविताओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

कार्यक्रम का सफल संचालन मोक्ष गुरु एवं असफिया ख़ान (प्रोडक्शन मैनेजर) ने किया। इस कवि सम्मेलन के निर्देशक मुजीब ख़ान रहे।

संपूर्ण आयोजन ने गणेश महोत्सव की गरिमा को और भव्य बना दिया तथा कवियों की ओजपूर्ण रचनाओं ने समाज में सकारात्मक संदेश देने का कार्य किया।

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