असंगठित मजदूर मोर्चा ने बांदा के 22 बाल एवं बंधुआ मजदूरों को मऊ से मुक्त कराया

असंगठित मजदूर मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष दलसिंगार ने ईंट भठ्ठा अंकुर ब्रिक फील्ड, रामपुर धनौली, (नई बाजार) दोहरीघाट, तहसील घोसी, जिला मऊ से...

Dec 6, 2023 - 08:16
Dec 6, 2023 - 08:27
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असंगठित मजदूर मोर्चा ने बांदा के 22 बाल एवं बंधुआ मजदूरों को मऊ से मुक्त कराया

बांदा,

असंगठित मजदूर मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष दलसिंगार ने ईंट भठ्ठा अंकुर ब्रिक फील्ड, रामपुर धनौली, (नई बाजार) दोहरीघाट, तहसील घोसी, जिला मऊ से बांदा के 22 बाल एवं बंधुआ मज़दूरों को मंगलवार को बाल मजदूरी एवं बंधुआ मजदूरी से आज़ाद कराया। इनमें बुधवार को सुबह 4 बजे सभी मजदूर अपने गांव परसौली, तहसील बबेरू, बांदा पहुँच गए हैं।

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बांदा में प्रवास के दौरान असंगठित मजदूर मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष दल सिंगार को रामफल पुत्र खुबी  मजदूर निवासी परसौली ने बताया कि वह एक बंधुआ मजदूर से किसी तरह ईंट भठ्ठा मालिक से जान बचाकर भागकर आया है और उनके अन्य साथी अभी भी बंधुआ है। उसने बताया कि ईंट भठ्ठा अंकुर ब्रिक फील्ड, रामपुर धनौली, तहसील घोसी, जिला मऊ में ईंट पथाई के लिए अक्टूबर, 2023 में एडवांस रुपये और लालच देकर 5 परिवार के कुल 22 बाल एवं बंधुआ मजदूरों को कार्य कराने के लिए मालिक अंकुर व ठेकेदार दीपक कुमार लेकर गए थे। 

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उन्होंने बताया कि जैसे ही हम सभी मजदूर कार्य स्थल पर पहुँचे तो देखा कि कार्यस्थल पर कोई बुनियादी सुविधाएं नहीं थी। जिसके सभी मजदूरों ने कार्य करने से इंकार कर दिया था।लेकिन मालिक और ठेकेदार ने मजदूरों की बात नहीं सुनी और डरा धमकाकर ईंट भठ्ठा मालिक ने जबरन रोक कर रखा और काम कराता रहा साथ ही बच्चों से भी काम कराता था।

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इसके बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष दल सिंगार ने बंधुआ मजदूरों को मुक्त कराने के लिए जिलाधिकारी, मऊ पुलिस अधीक्षक, उप श्रमायुक्त, मण्डल आजमगढ़, सहायक श्रमायुक्त मऊ के अलावा श्रम आयुक्त, कानपुर आदि को पत्र भेजा। तब सभी बाल एवं बंधुआ मजदूरों को मुक्त कराया गया, लेकिन अभी भी जिला प्रशासन मऊ द्वारा मुक्ति प्रमाण पत्र नहीं मिला है, जिसके लिए कार्यवाही की जा रही है। मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष, दल सिंगार ने कहा कि बुंदेलखंड के मजदूरों की स्थिति दिन पर दिन दयनीय होती जा रही है. लेकिन प्रशासन इन मजदूरों के लिए कुछ भी नहीं कर रही है। जबकि मजदूरों के पलायन रोकने एवं स्थानीय रोजगार के सृजन को स्थानीय प्रशासन एवं सरकार को कई बार पत्र के माध्यम से ध्यान आकृष्ट कराया जा चुका है। 

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