यूपी - एमपी का मोस्ट वांटेड साढ़े 5 लाख का इनामी डकैत गौरी यादव मुठभेड़ में ढेर

उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के सीमावर्ती इलाको में आतंक का पर्याय बने साढ़े पांच लाख के कुख्यात ईनामी डकैत गौरी यादव को शनिवार..

यूपी - एमपी का मोस्ट वांटेड साढ़े 5 लाख का इनामी डकैत गौरी यादव मुठभेड़ में ढेर
चित्रकूट डकैत गौरी यादव (Chitrakoot dacoit Gauri Yadav)

  • चित्रकूट मे एडीजी एसटीएफ अमिताभ यश के नेतृत्व हुई मुठभेड़ 

उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के सीमावर्ती इलाको में आतंक का पर्याय बने साढ़े पांच लाख के कुख्यात ईनामी डकैत गौरी यादव को शनिवार को एडीजी अमिताभ यश के नेतृत्व में यूपी एसटीएफ की टीम ने बहिलपुरवा के जंगल मे हुई मुठभेड़ में मार गिराया। मारे गए दुर्दांत डकैत पर चार दर्जन से अधिक जघन्य आपराधिक मामले दर्ज थे।मुठभेड़ स्थल से एसटीएफ को एज के 47 के साथ साथ भारी मात्रा में कारतूस बरामद हुए है।

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विंध्य पर्वत श्रृंखला के मध्य बसा बुन्देलखण्ड का पाठा का बीहड़ कईं दशकों से दुर्दांत डकैतो के आतंक का गढ़ रहा है। ददुआ, ठोकिया,रागिया,बलखडिया और बबली कोल के मारे जाने के बाद डकैत गौरी यादव ही चित्रकूट के बीहड़ में इकलौता दस्यु गिरोह बचा था। डकैत गौरी यादव पर यूपी से पांच लाख और एमपी से पचास हजार का ईनाम घोषित था। डकैत गौरी पर ईनाम बढ़ने के साथ ही यूपी एसटीएफ ने दस्यु गौरी यादव पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया था।

शुक्रवार को मुखबिर से मिली सटीक सूचना के आधार पर एडीजी अमिताभ यश के नेतृत्व में यूपी एसटीएफ की टीम ने चित्रकूट जिले के बहिलपुरवा थाना क्षेत्र के जंगलों में दस्यु गिरोह की घेराबंदी कर ली।इसके बाद शनिवार तड़के करीब 3-4 बजे के आसपास हुई मुठभेड़ में एसटीएफ ने साढ़े पांच लाख के दुर्दांत ईनामी डकैत गौरी यादव को मार गिराया। मुठभेड़ में दोनों तरफ से चली सैकड़ों राउंड गोलियो से पाठा के बीहड़ में हड़कम्प मच गया।

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मुठभेड़ स्थल से  यूपी एसटीएफ को एक एके-47 रायफल, एक क्लाशनिकोव सेमी ऑटोमैटिक राइफल, एक 12 बोर बंदूक और सैकड़ों कारतूस मिले हैं। गौरी यादव पर यूपी से पांच लाख और एमपी से 50 हजार का इनाम घोषित था। गिरोह को और सदस्यों को पकड़ने के लिए पुलिस अफसरों के साथ कई थानों की पुलिस और एसटीएफ की टीमें जंगल में कांबिंग कर रही हैं।

चित्रकूट जिले के बाहिलपुरवा थाने के माड़व बाग गांव का रहने वाला दस्यु गौरी यादव कुख्यात डकैत ददुआ के पिट्टू के तौर पर जंगल में उतरा था। ददुआ के मारे जाने के बाद वह डकैत बबुली गिरोह में शामिल हो गया। पुलिस ने बबली कोल को मारने के लिए इसको उस समय बढ़ावा दिया और इसकी मदद से बबली को मारा। बबुली के मारे जाने के बाद उसी गिरोह के कुछ सदस्यों के साथ करीब 10 साल पहले गौरी ने अपना गिरोह बना लिया और खुद सरगना बन गया था।

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