पृथक बुंदेलखंड राज्य का मुद्दा और गरमाया, कई संगठन हुए एकजुट
यूपी और एमपी के एक दर्जन से ज्यादा जनपदों में बंटे बुंदेलखंड को अलग राज्य का दर्जा देने के लिए शुरू हुई लड़ाई...
यूपी और एमपी के एक दर्जन से ज्यादा जनपदों में बंटे बुंदेलखंड को अलग राज्य का दर्जा देने के लिए शुरू हुई लड़ाई अब और तेज होती जा रही है। इस सिलसिले में बुंदेलखंड आजाद सेना द्वारा 2 दिन पहले के किए गए आवाहन के बाद कई संगठन जुड़ गए। गुरुवार को ऐतिहासिक अशोक स्तंभ के नीचे सभी संगठन के लोगों ने सांकेतिक धरना देकर आंदोलन को तेज करने का आवाहन किया।
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बुंदेलखंड राज्य संघर्ष समिति के अध्यक्ष रमेश चंद्र दुबे ने इस मौके पर कहा कि बुंदेलखंड के राजस्व का 62 फ़ीसदी उत्तर प्रदेश में खर्च किया जा रहा है। जबकि बुंदेलखंड के लोग बेरोजगारी और भूखमरी का दंश झेल रहे हैं। उन्होंने पृथक बुंदेलखंड राज्य के लिए आंदोलन कर रहे सभी संगठनों से अपील की है कि सभी लोग एक मंच पर एकत्र होकर इस लड़ाई को तेज करें। तभी हमारा अलग राज्य बन सकेगा। इसी तरह जनता दल यू की महिला मंच की प्रदेश अध्यक्ष शालिनी पटेल ने पृथक बुंदेलखंड राज्य आंदोलन के लिए पूरा समर्थन करते हुए लोगों से एकजुट होकर लड़ाई लड़ने का आवाहन किया। उन्होंने कहा कि 1948 में बुंदेलखंड को अलग राज्य का दर्जा मिला था।
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लेकिन 1956 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इस राज्य को समाप्त करके जनता के साथ विश्वासघात किया। हमें अपना राज्य वापस चाहिए। धरने में बुंदेलखंड इंसाफ सेना के ए एस नोमानी ने भी भागीदारी करते हुए आंदोलन में पूरा सहयोग देने का आवाहन किया। इसी तरह बुंदेलखंड आजाद सेना के केंद्रीय अध्यक्ष प्रमोद आजाद ने कहा कि यह आंदोलन शीघ्र ही बृहद रूप लेगा। केंद्र सरकार अति शीघ्र बुंदेलखंड को राज्य का दर्जा दे, अन्यथा आगामी 9 जनवरी को हजारों बुंदेलियों के साथ लखनऊ विधानसभा के लिए कूच करूंगा और अलग बुंदेलखंड राज्य के लिए सरकारों को बाध्य कर दूंगा।
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उन्होंने कहा कि हमसे अब बुंदेलखंड की दुर्दशा देखी नहीं जा रही है। अभी तक हम चुपचाप गांधीवादी तरीके से अपना हक मांग रहे थे। अब नेताजी सुभाष चंद्र बोस व भगत सिंह, रानी लक्ष्मीबाई के आदर्शों पर चलते हुए बुंदेलखंड पृथक राज्य के स्वाभिमान के लिए कुर्बान हो जाएंगे। इस अवसर पर धरने में मुकेश कुमार निषाद, राम लखन यादव, विद्या भाई देव कुमार, राम अवतार ,रमेश सिंह सहित दर्जनों कार्यकर्ता धरने पर बैठे रहे।