टकटकी लगाए दर्शक देखते रहे परशुराम-लक्ष्मण संवाद
रामलीला महोत्सव में परशुराम-लक्ष्मण संवाद का मंचन नामचीन कलाकारों ने प्रस्तुत कर दर्शकों को रोमांच से भर दिया...
नाथ शंभु धनु भंजनहारा होइहै कोउ एक दास तुम्हारा...
चित्रकूट। रामलीला महोत्सव में परशुराम-लक्ष्मण संवाद का मंचन नामचीन कलाकारों ने प्रस्तुत कर दर्शकों को रोमांच से भर दिया। देर रात तक मंचन देखने को दर्शकों की भारी भीड़ एकत्र रही।
मुख्यालय के तरौंहा में चल रही रामलीला में जब प्रभु श्रीराम ने शिव धनुष का खंडन किया तो तपस्या में लीन भगवान परशुराम मन की गति से मिथला पहुंच गए। जहां राजा जनक ने पुत्री सीता को आर्शीवाद दिलाया। इसके बाद धनुष तोड़ने के बारे में पूछा। राजा जनक के यह कहते ही कि श्रीराम ने धनुष का खंडन किया तो परशुराम क्रोध से भर गए। तब परशुराम श्रीराम के पास गए और आवेश में कहा जिसने भी शिव धनुष तोड़ा उसका विनाश कर दूंगा। धरती एक बार फिर वीरो से खाली हो जाएगी। इस पर श्रीराम ने शालीन भाव में कहा नाथ शंभु धनु भंजनहारा होइहै कोउ एक दास तुम्हारा। इतना सुनते ही लक्ष्मण बीच में आकर बोल पड़े। इस पर परशुराम का क्रोध सातवे आसमान पर चढ़ गया। लक्ष्मण बोले बहु धनुहि तोडी लरकाई कबहु नअस रिस केहेहु गोसाई। फिर परशुराम ने कहा यह मामूली धनुही नहीं भगवान शिव का धनुष था। यह संवाद देर रात तक चलता रहा। दर्शक टकटकी लगाए मंचन देखते रहे।