राजनीति की भेट ना चढ़ जाए सुशांत केस
हालाँकि यह साफ नहीं हो सका कि मौत की गई या आत्महत्या है परंतु संदिग्ध मौत से कोई इंकार नहीं कर रहा, वहीं बालीवुड जितना शातिराना है उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आत्महत्या को मौत का स्वरूप देना कला हस्तियों के लिए कितनी सस्ती प्रक्रिया होगी..
कला जगत के प्रसिद्ध अभिनेता सुशांत राजपूत की रहस्यमयी मौत की जांच सीबीआई को सौंप दी गई है। सुप्रीम कोर्ट के एक बड़े फैसले मे बिहार पुलिस व मुंबई पुलिस की जांच के मद्देनजर केन्द्रीय एजेंसी को मामले की जांच करने को कहा गया है। किन्तु सुशांत की मौत राजनीतिक जंग का स्वरूप अख्तियार कर चुकी है, वहीं बालीवुड की ताकतवर शख्सियतों से भी न्याय की लड़ाई है।
हालाँकि यह साफ नहीं हो सका कि मौत की गई या आत्महत्या है परंतु संदिग्ध मौत से कोई इंकार नहीं कर रहा। वहीं बालीवुड जितना शातिराना है उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आत्महत्या को मौत का स्वरूप देना कला हस्तियों के लिए कितनी सस्ती प्रक्रिया होगी। जहाँ पैसा और पावर एक साथ दो पावर अपना काम करते हैं वहाँ कला जगत की ताकत के संगम से कुछ भी हेराफेरी की जा सकती है , यह बालीवुड के प्रति भारी शंका है।
वहीं भाजपा और शिवेसेना के बीच राजनीतिक जंग भी धार ले चुकी है। चूंकि यह मौत इतनी संदिग्ध है कि इसके लिंक दिशा की मौत से भी लगाए जा रहे हैं। यही एक बड़ी वजह है कि सुशांत की मौत से महाराष्ट्र सीएम उद्वव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे से भी जोड़कर देखा जा रहा है। यह सच है कि राजनीतिक जगत और कला जगत का याराना बड़ा पुराना है।
यही बड़ी वजह मानी जा रही है कि महाराष्ट्र मे सरकार बनने व न बनने के बीच शिवसेना और भाजपा की राजनीति जंग में सुशांत केस कहीं महज प्रयोग ना सिद्ध हो जाए। हाल ही मे बिहार मे इलेक्शन होने वाले हैं , जिसे लेकर भी विशेषज्ञों का मानना है कि भाजपा - जदयू गठबंधन को चुनावी फायदे के लिए सुशांत केस बिहारी अस्मिता का स्थानीय कारण बन जाएगा और इसका चुनावी प्रयोग हो सकता है।
गौर करने योग्य है कि यदि आदित्य ठाकरे दोषी होंगे भी तो क्या सबूत मिल पाएंगे ? चूंकि इतने समय मे सबूत आसानी से मिटा दिए जाते हैं। फिर भी सुशांत के फैन को न्याय मिलने की उम्मीद है। लेकिन डर इस बात का है कि सीबीआई जांच से सच सामने आ पाएगा या नहीं ! यदि यह हत्या है तो क्या बड़ी राजनीतिक हस्ती को बचाया जाएगा ? यदि नहीं बच सके तो शिवसेना की ख्याति पर बुरा असर पडेगा।
फिलहाल सीबीआई जांच को न्याय की जीत का पहला कदम बताया जा रहा है। अब देखना यह होगा कि न्याय पाने की कोशिश करने वाले लोग सक्रिय प्रयास कर न्याय को अंजाम तक पहुंचाते हैं या फिर न्याय राजनीति की भेट चढ जाएगा। चूंकि अक्सर देखा गया है कि बड़े बड़े लोग बड़े बड़े अपराध करके ईमानदारी से बच जाते हैं या बचाए जाते हैं। किन्तु लोग अभी कह रहे हैं कि सत्यमेव जयते।