हार्ट अटैक में गैस की गोली दे दी झांसी के इस डाॅक्टर ने, फिर क्या हुआ?
झांसी सर्राफा बाजार का एक व्यापारी अपने घर पर सुबह 5 बजे अचानक सीने में दर्द से बिलबिला उठता है। सुबह का वक्त था तो किस अस्पताल जायें, पर किसी ने सलाह दी कि जिला चिकित्सालय का इमरजेंसी तो खुला ही होगा, तो परिवार वाले उसे जिला चिकित्सालय की इमरजेंसी में ले गये।
झांसी सर्राफा बाजार का एक व्यापारी अपने घर पर सुबह 5 बजे अचानक सीने में दर्द से बिलबिला उठता है। सुबह का वक्त था तो किस अस्पताल जायें, पर किसी ने सलाह दी कि जिला चिकित्सालय का इमरजेंसी तो खुला ही होगा, तो परिवार वाले उसे जिला चिकित्सालय की इमरजेंसी में ले गये।
अब चूंकि सुबह का वक्त था, नींद जरा ज्यादा आती है तो ड्यूटी पर तैनात डाॅक्टर साहब ने उसे गैस रिलीज करने की दवा पकड़ा दी। कहा कि इसे खा लो, ठीक हो जाओगे। अब बेचारे डाॅक्टर साहब पूरी रात ड्यूटी किये थे, नींद का जोर पूरे उफान पर था। ऐसे में कोई अपनी इमरजेंसी बताये तो नींद के आगे कैसे टिकेगी। लिहाजा डाॅक्टर साहब ने उसे गैस की गोली से टरकाया।
परिजन चिल्लाये कि उसे हार्ट अटैक आया है, ई.सी.जी. कर लो। पर डाॅक्टर साहब का गुस्सा सातवें आसमान पर। बोले, डाॅक्टर मैं या तुम? ये गोली खाओ, सब सही हो जायेगा।
परिजनों के पास डाॅक्टर से लड़ने का भी टाइम नहीं था। डाॅक्टर पर गुस्सा आ रहा था पर क्या करते, पहले मरीज की जान का सवाल था। कहीं देर न हो जाये, और कुछ अनहोनी हो जाये, इसके लिए मरीज को तुरंत इलाज की आवश्यकता थी। थकहार कर वे उसे एक प्राइवेट हाॅस्पिटल ले गये।
प्राइवेट हाॅस्पिटल के डाॅक्टर ने उसे देखा तो ई.सी.जी. किया। डाॅक्टर ने बताया कि थोड़ी देर और हो जाती तो अनर्थ हो जाता। उन्हें वाकई हार्ट अटैक आया था। परिजन चिंतित हुए पर प्राइवेट हाॅस्पिटल के उस डाॅक्टर ने उन्हें उचित इलाज देकर ठीक कर दिया। अब वो व्यापारी पहले से बेहतर महसूस कर रहे हैं।
अब वो सर्राफा व्यापारी ऐसी सरकारी व्यवस्था पर सवाल उठा रहे हैं कि लाखों करोड़ों खर्च करने के बाद क्या ऐसे ही लापरवाह डाॅक्टरों के कारण सरकारी सेवाओं का बुरा हाल है? ऐसे में तो ये जान बचाने की बजाये जान लेने पर तुले हैं। आखिर ये डाॅक्टर हैं या कसाई? इन्हें भगवान मानकर जब मरीज यहां आता है, तो इन्हें ड्यूटी के बजाये अपनी नींद क्यों दिखाई देती है? सरकारी अस्पताल का ऐसा ही लचर रवैया तो कईयों की जान ले लेता है।