आधुनिक जीवन में ऋषि परंपरा विषय पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का हुआ समापन

जगदगुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग राज्य विश्वविद्यालय में आधुनिक जीवन में ऋषि परंपरा विषय पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी...

आधुनिक जीवन में ऋषि परंपरा विषय पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का हुआ समापन

भारतीय ज्ञान प्रणाली में ऋषि परंपरा ने निभाई अहम भूमिका

चित्रकूट। जगदगुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग राज्य विश्वविद्यालय में आधुनिक जीवन में ऋषि परंपरा विषय पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन सोमवार को हुआ। 

संगोष्ठी के अंतिम दिन तकनीकी सत्र में डॉ राम बहादुर दुबे ने ऋषि दृष्टि में नारी सशक्तिकरण विषय पर अपने विचारों में ऋषि परंपरा में निहित नारी के शक्ति स्वरूपा एवं व्यापक व्यक्तित्व का वर्णन किया। इसी क्रम में डॉ दिनेश यादव ने भारतीय ज्ञान प्रणाली में आधारभूत ऋषि परंपरा पर अपने विचार रखे और ऋषि परंपरा के द्वारा भारतीय ज्ञान प्रणाली को समृद्ध करने के बारे में इसकी भूमिका को स्पष्ट किया। केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय लखनऊ से आए डॉ सुरेश प्रकाश सिंह ने ऋषि शिक्षा के संदर्भ में पर्यावरण संरक्षण के विविध आयामों को बताया। डॉ माधव गोपाल ने जीवन मूल्यों के संदर्भ में ऋषि परंपरा की प्रासंगिकता को अत्यंत रोचक शब्दों में रखा। तकनीकी सत्र में डॉ नीरज तिवारी, डॉ राहुल कुमार मिश्र, अनिरुद्ध नारायण शुक्ला, डॉ अमित कुमार आदि वक्ताओं ने अपने विचार रखें। महर्षि पाणिनि विश्वविद्यालय उज्जैन के वरिष्ठ आचार्य डॉ तुलसीदास परौहा ने रामायण के विभिन्न प्रसंगो का उल्लेख करते हुए ऋषि परंपरा के प्राचीन महत्व पर प्रकाश डाला। समापन सत्र में विचार व्यक्त करते हुए प्रो मदन मोहन पाठक ने वेद वेद, वेदागों का उल्लेख करते हुए वर्तमान भारत को विकसित करने में ऋषि परंपरा के महत्व पर जोर दिया। प्रो गजेंद्र शर्मा ने ऋषि परंपरा और भारतीय संस्कृति के संवाहक के रूप में प्राचीन भारतीय ज्ञान को आधुनिक समय में जीवन मूल्यों से जोड़कर प्रस्तुत किया। प्रो हरेंद्र नाथ झा ने ऋषि परंपरा का निर्वहन करते हुए दिन प्रतिदिन की समस्याओं और मानव जीवन के अंतिम लक्ष्य को प्राप्त करने में इसकी उपादेयता को स्पष्ट किया। 

समापन सत्र की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो शिशिर कुमार पांडेय ने विश्वविद्यालय के संस्थापक कुलाधिपति जगदगुरु स्वामी रामभद्राचार्य को इस युग का ऋषि परंपरा का सर्वश्रेष्ठ व्यक्तित्व बताते हुए उनके पदचिन्हों पर चलने का संकल्प लिया। उन्होंने बताया कि इस विश्वविद्यालय में ऋषि परंपरा का पालन करते हुए राज्य सरकार एवं अन्य प्राधिकारी संस्थाओं के सहयोग से एक भारतीय ज्ञान केन्द्र की स्थापना भी की जाएगी जो इस परंपरा को वर्तमान शिक्षा नीति के अनुसार संचालित करने में मदद देगी।

कार्यक्रम में डॉ राममोहन मिश्र, डॉ अनिल द्विवेदी, डॉ मोहिनी अरोड़ा, विवि के अधिष्ठाता डॉ महेंद्र कुमार उपाध्याय, डॉ विनोद कुमार मिश्र, डॉ गुलाब धर, डॉ अमित अग्निहोत्री, डॉ निहार रंजन मिश्र, डॉ किरण त्रिपाठी सहित संगोष्ठी के संयोजक डॉ शशिकांत त्रिपाठी, सहसंयोजिका डॉ प्रमिला मिश्रा एवं गरिमा मिश्रा मौजूद रहे। संगोष्ठी में तकनीकी सहयोग तकनीकी अधिकारी सुधीर कुमार तथा सहायक आचार्य डॉ आनंद कुमार की टीम ने प्रदान किया।

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