कोरोना काल मे मजदूरों को तेंदू पत्ता बना रोजगार का सहारा
चित्रकूट के विकास खण्ड मनिकपुर अंतर्गत जंगलों के किनारे गाँवो में इन दिनों कोरोना काल मे तेंदू पत्ता रोजगार व जीविका बड़ा जरिया बना है..
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मेहनताना में भी कर्मचारी मार रहे डाका
चित्रकूट के विकास खण्ड मनिकपुर अंतर्गत जंगलों के किनारे गाँवो में इन दिनों कोरोना काल मे तेंदू पत्ता रोजगार व जीविका बड़ा जरिया बना है बताते चले कि मानिकपुर के सरैया घाटी स्थित कोलनबस्ती की सुनीता देवी ने बताया कि लॉक डाउन के चलतेहमलोगों का जंगलों से लकड़ियां बेचने का कारोबार बंद हो गया है सारी महिलाएं घर में बैथी रहती हैं इस समय कोरोनावायरस महामारीके कारण हम लोगों को काम नहीं मिल रहा है और जो लकड़ी काट कर अपना गुजारा करते थे और ट्रेन में जाते थे वह भी बंद है क्योंकि ट्रेन भी नहीं चली कि हम अपना घर का ख़र्चा लकड़ियां बेच कर चलाये ।
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इस समय 14 मई से तेंदू का पत्ता टूटने लगे हैं तो हम घर से रात के 3:00 बजे उठते हैं घर का पूरा काम धाम करने के बाद सुबह 4:00 बजे जंगल की ओर जाते और तेंदू पत्ता तोड़ कर 10:00 बजे आते हैं तब खाना बना कर घर के सारे काम निपटा कर अपना पत्ता जोड़ना शुरु कर देते मगर जहां सरकारी रेट ₹110 का 100 बंडल का है, वही कर्मचारी व ठेकेदारों द्वारा हमे 50 रुपये या 70 रुपये दिए जाते है हमलोगों को समय से पैसा भी नही दिया जाता जिसके चलते घर खर्च चलाने में बहुत मुश्किल हो जाती है।
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