सरसों फसल के पैदावार मे सल्फर की महत्वपूर्ण भूमिकाः कुलपति
बाँदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय ने भारतीय सरसों अनुसंधान निदेशालय सेवर भरतपुर राजस्थान द्वारा वित्त पोषित योजना के अन्र्तगत प्रथम पक्ति प्रदर्शन---
बाँदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय ने भारतीय सरसों अनुसंधान निदेशालय, सेवर भरतपुर, राजस्थान द्वारा वित्त पोषित योजना के अन्र्तगत प्रथम पक्ति प्रदर्शन हेतु बांदा जिले के कई ग्रामो के कुल 50 कृषको को सरसों की प्रजाति एन.आर.सी.एच.बी-101 का 1.5 कि0ग्रा0 बीज 1 एकड फसल के लिये वितरित किये गये। बीज के साथ-साथ क्रान्तिक आदान के रूप मे सल्फर उर्वरक तथा फसल सुरक्षा हेतु दो रोगनाशी भी वितरित किये।
इस अवसर पर किसानों को तकनीकी जानकारी देने के लिये एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति डा. यू.एस. गौतम ने की। डा. गौतम ने कहा कि इस प्रदर्शन का मुख्य उद्देश्य कृषको को सरसों फसल की आधुनिक एवं उन्नतशील तकनीकियों को कृषक प्रक्षेत्र तक पहुचाना है जिससे सरसों की अधिक से अधिक पैदावार हो सके। साधरणतया सरसों की फसल मे तेल की मात्र बढाने हेतु सल्फर की आवश्यकता होती है, परन्तु ज्यादातर किसान सल्फर का प्रयोग बुआई के समय अथवा बाद मे नही करते है जिससे उत्पादन पर तो असर पडता ही है तेल के परता मे भी कमी आती हैैै। अतः कृषकों से अपील है कि सरसोे की फसल मे बुआई के समय और आवश्यकता पडने पर खडी फसल मे भी सल्फर का प्रयोग अवश्यक करे।
डा. यू. एस. गौतम ने किसानों से सरसों की वैज्ञानिक खेती के साथ-साथ विश्वविद्यालय के साथ जुड़कर वैज्ञानिकों से तकनीकी ज्ञान का लाभ लेने का सुझाव दिया। डा. गौतम ने कृषकों से विश्वविद्यालय परिसर में स्थित समन्वित कृषि प्रणाली माडल, फल वृक्षों की बागवानी तथा अन्य प्रयोंगोें को देखने का सुझाव देते हुये उन्नत तकनीकी से कृषि करने का सुझाव दिया।
डा. धर्मेन्द्र कुमार ने कार्यक्रम संचालन करते हुये सरसों की प्रमुख बीमारियों के रोग निवारण के बारे में बताया कि प्रशिक्षण के दौरान विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों द्वारा सरसों फसल के अधिक उत्पादन हेतु विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से बताया। प्रशिक्षण मे डा. अमित कुमार सिंह, सहायक प्राध्यापक शस्य विज्ञान, डा. हितेश कुमार सहायक पादप प्रजनन तथा डा. मुकेश मिश्रा, सहायक प्राध्यापक कीट विज्ञान ने सरसों की वैज्ञानिक खेती पर महत्वपूर्ण चर्चा की।
पादप रोग विज्ञान विभाग के सहायक प्राध्यापक डा. विवेक सिंह ने प्रथम पक्ति प्रदर्शन पर अपने अनुभवों को साझा करते हुये बताया कि सरसों की फसल मे तीन मुख्य बातें बुआई का समय, बीज दर तथा खेत मे नमी का विशेष तौर से ध्यान रखने के लिये कृषकों से अपील की। कार्यक्रम में कृषि अधिष्ठाता डा. जी. एस. पंवार, निदेशक बीज एवं प्रक्षेत्र डा. मुकुल कुमार, सह निदेशक शोध डा. अखिलेश कुमार श्रीवास्तव तथा सह निदेशक शोध डा. नरेन्द्र सिंह उपस्थित रहे।