बुंदेलखंड के बहाने पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह, अब खेलेंगे सियासी पारी
अलग बुंदेलखंड राज्य की मांग को लेकर कई संगठन बने और कई राजनीतिक दलों के नेताओं ने बुंदेलखंड राज्य को लेकर राजनीतिक चमकाई। फिर भी बुंदेलखंड का भला नहीं हुआ। अब...
बांदा,
अलग बुंदेलखंड राज्य की मांग को लेकर कई संगठन बने और कई राजनीतिक दलों के नेताओं ने बुंदेलखंड राज्य को लेकर राजनीतिक चमकाई। फिर भी बुंदेलखंड का भला नहीं हुआ। अब प्रदेश के एक पूर्व नौकरशाह सुलखान सिंह ने इसी मुद्दे को लेकर सियासत शुरू की है। उन्होंने बकायदा बुंदेलखंड लोकतांत्रिक पार्टी का गठन करके अलग राज्य बनाने के लिए राजनीति को जरूरी बताया है।
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प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक सुलखान सिंह ने मंगलवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए नई पार्टी बुंदेलखंड लोकतांत्रिक पार्टी के गठन की घोषणा की। उन्होंने इसमें जनता की भागीदारी बढ़ाने के लिए लोगों से पार्टी से जुड़ने की अपील की। पूर्व डीजीपी का कहना है कि बुंदेलखंड राज्य को लेकर किसी भी राजनीतिक दल में कोई रुचि नहीं है। जो इस क्षेत्र के जनप्रतिनिधि चुने जाते हैं। वह पार्टी लाइन के खिलाफ नहीं जा सकते हैं। यही वजह है कि बुंदेलखंड राज्य का सपना अधूरा का अधूरा है। बिना राजनीतिक भागीदारी के अलग राज्य की कल्पना बेमानी है इसीलिए मैंने एक स्वतंत्र पार्टी का गठन किया। बुंदेलखंड के अलग राज्य बन जाने से अलग से बजट मिलेगा जिससे राज्य का विकास होगा।
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कहा कि अभी वह अकेले ही बुंदेलखंड लोकतांत्रिक पार्टी का गठन करके बुंदेलखंड अलग राज्य की अलख जगाने निकले हैं, बुंदेलखंड राज्य न बन पाने के लिए दो राज्यों में बंटे होने का प्रमुख कारण बताया। कहा कि राजनीतिक दलों की महत्वाकांक्षा उन्हें छोटे राज्य बनाने से रोक रही है। पूर्व डीजीपी ने अपने दल के स्वरूप के बारे में कहा कि उनके दल के पवित्र संकल्प के आधार पर लोग जुड़े और तन-मन धन से सहयोग करके बुंदेलखंड के विकास के लिए अलग राज बनाने को आगे आएं। यह भी बताया कि उनके दल में सहयोग करने के लिए कोई भी समय देकर सक्रिय सदस्य बन सकते हैं। जबकि साधन संपन्न लोग बुंदेलखंड राज्य के लिए आर्थिक रुप से मदद कर सकते हैं।पूर्व डीजीपी ने पार्टी को मजबूत बनाने की लिए उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के 14 जिले में बंटे बुंदेलखंड क्षेत्र के गांव गांव में जाकर जनसंपर्क अभियान चलाने का संकल्प व्यक्त किया और कहा कि बुंदेलखंड राज्य को लेकर यहां के निवासियों में जागरूकता और जन भावना विकसित करने की जरूरत है। इसके लिए मैं हर संभव प्रयास करूंगा। एक सवाल की जवाब में उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड राज को लेकर यहां कई आंदोलन हुए लेकिन सत्ता से जुड़े लोगों की हनक के चलते बड़े-बड़े आंदोलन धराशायी हो गए।
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बताते चलें कि बुंदेलखंड राज्य को लेकर तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सियासत चमकाने की कोशिश की। भाजपा की फायर ब्रांड नेता उमा भारती ने भी बुंदेलखंड को लेकर राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश की। राहुल गांधी ने बुंदेलखंड के विकास के लिए बुंदेलखंड पैकेज दिलाया था वहीं पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने अलग बुंदेलखंड राज्य का प्रस्ताव सदन में पारित कराकर केंद्र सरकार को भेजा था। सिने अभिनेता राजा बुंदेला भी लंबे अरसे तक बुंदेलखंड राज्य की मांग को लेकर सियासत चमकते रहे। अब पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह ने पृथक बुंदेलखंड के लिए कमर कस ली है, देखना है उन्हें सफलता मिलती है या अन्य नेताओं की तरह वह भी अलग राज्य के परिदृश्य में गुम हो जाएंगे। बांदा के मूल निवासी सुलखान सिंह साल 2017 में योगी सरकार आने के बाद डीजीपी बनाए गए थे।