कोरोना संक्रमित कैदी की लाश में पड़े कीड़े, लाश बनी फुटबॉल

बुन्देलखण्ड  के जनपद बांदा में स्वास्थ्य विभाग, जेल प्रशासन और पुलिस विभाग की लापरवाही से पांच दिन पहले कोरोना संक्रमित मरीज की मौत के बाद भी उसकी लाश का अंतिम संस्कार नहीं किया गया...

कोरोना संक्रमित कैदी की लाश में पड़े कीड़े, लाश बनी फुटबॉल

बुन्देलखण्ड  के जनपद बांदा में स्वास्थ्य विभाग, जेल प्रशासन और पुलिस विभाग की लापरवाही से पांच दिन पहले कोरोना संक्रमित मरीज की मौत के बाद भी उसकी लाश का अंतिम संस्कार नहीं किया गया। उसे लावारिस की तरह मोर्चरी में रखवा देने से लाश को कीड़े खा रहे हैं और कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ गया है। लाश का अंतिम संस्कार क्यों नहीं हुआ इसके लिए तीनों विभाग एक दूसरे पर ठीकरा फोड़ रहें हैं, ऐसे में अगर जल्दी लाश का अंतिम संस्कार नहीं किया जाता कोरोना संक्रमण के फैलने से रोकना असंभव हो जाएगा।

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यह मामला है थाना पैलानी अंतर्गत ग्राम चौकी पुरवा का
गुलबदन पुत्र राजा राम का यह कैदी 1 सितंबर को जेल में संक्रमित पाया गया था। जेल प्रशासन ने उसे फौरन इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज भेजा। जहां मेडिकल कॉलेज में उसे भर्ती कर इलाज शुरू किया गया। बाद में उपचार के दौरान ही उसकी मौत हो गई। 6 सितंबर को हुई मौत के बाद जिला मजिस्ट्रेट के आदेश से उक्त मृतक बंदी का पंचनामा व पोस्टमार्टम हुआ था। इसके बाद वरिष्ठ अधीक्षक जिला कारागार द्वारा 7 सितंबर को एक पत्र मृतक की पत्नी जय रानी को भेजा गया था। इस पत्र में बताया गया था कि तुम्हारे पति की कोरोना संक्रमण से मौत हो गई है उसका अंतिम संस्कार 7 सितंबर को मुक्ति धाम बांदा के इलेक्ट्रिक शव दाह ग्रह में लगभग 11 बजे दिन में किया जाएगा, जिसमें आप सम्मिलित हो सकती हैं।

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इधर मृतक की पत्नी ने जिलाधिकारी बांदा को 6 सितंबर को एक पत्र लिखा था। जिसमें उसने बताया था कि मेरे पति को एक फर्जी केस में 15 अगस्त को जेल में बंद किया गया था जो पूरी तरह स्वस्थ थे। उन्हें किसी प्रकार की बीमारी नहीं थी। आज प्रातः 11बजे सूचना मिली की गुलबदन की तबीयत खराब है। जेल में आकर देख जाएं ,जब मैं अपने परिवार वालों के साथ कारागार आई तो पता चला कि पति को मेडिकल कॉलेज ले गए। वहां पता चला कि उनकी मौत सुबह ही हो गई है। मृतक की पत्नी ने आरोप लगाया कि मेरे पति की मौत जेल प्रशासन की लापरवाही से हुई है। इसकी उच्च स्तरीय जांच की जाए और 20 लाख रुपए मुआवजा दिलाया जाए। कुल मिलाकर मृतक की पत्नी मुक्तिधाम अंतिम संस्कार में नहीं पहुंची जिससे का अंतिम संस्कार नहीं हो पाया और लाश पुनः मोर्चरी में रखवा दी गई।

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मेडिकल कॉलेज ने भी पल्ला झाड़ा
कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत हो जाने के बाद मेडिकल कॉलेज की टीम द्वारा मृतक के शव का कोविड-19 नियमों का पालन करते हुए अंतिम संस्कार कराया जाता है लेकिन मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ मुकेश यादव का कहना है कि कैदी मृत अवस्था में जिला अस्पताल से रेफर होकर आया था, इसलिए मरीज जिला अस्पताल से संबंध था और उसका अंतिम संस्कार भी स्वास्थ्य विभाग को कराना चाहिए।

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हमने शव का पोस्टमार्टम करवा दिया था : सीएमओ
इस बारे में सीएमओ एनडी शर्मा का कहना है कि कैदी की मौत के बाद 6 सितंबर को ही शव का पोस्टमार्टम करा कर शव पुलिस के सुपुर्द कर दिया था। शव का अंतिम संस्कार क्यों नहीं हुआ यह पुलिस ही बता सकती है।

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क्या कहते हैं कोतवाली प्रभारी
इस बारे में जब कोतवाली प्रभारी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि डेड बॉडी जेल प्रशासन द्वारा हमें मिली थी इसलिए हमने शव जेल प्रशासन को सुपुर्द करना चाहा लेकिन जेल प्रशासन ने शव को लेने से इनकार कर दिया। अगर लाश लावारिस होती तो अंतिम संस्कार करा दिया जाता। कोई वारिसान ना आने के कारण शव को मोर्चरी में रखवा दिया गया था।

उपरोक्त अधिकारियों के बयान से स्पष्ट है कि जिम्मेदार अधिकारी एक दूसरे पर ठीकरा फोड़ने की कोशिश कर रहे हैं जबकि इनकी लापरवाही से कोरोना संक्रमण फैल सकता है। अभी तक इस संबंध में जिला प्रशासन ने कोई एक्शन क्यों नहीं लिया इस बारे में किसी के पास कोई जवाब नहीं है। सभी एक दूसरे की ओर  पाले में गेंद डाल रहे जबकि इस संबंध में प्रशासन को कार्रवाई करते हुए मृतक के परिजनों को विश्वास में लेकर शव का अंतिम संस्कार करा देना चाहिए।

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