सच्ची खुशी और आनंद केवल निरंकार में समाहित : सतगुरु माता सुदीक्षा महाराज
निरंकार को हर कार्य में सम्मिलित कर आध्यात्मिक जागृति और खुशी का विस्तार संभव है। यह प्रेरणादायक वचन...
अपनी जिम्मेदारियों को निभाते हुए, हर कार्य में निरंकार को समाहित करना जरूरी
चित्रकूट। निरंकार को हर कार्य में सम्मिलित कर आध्यात्मिक जागृति और खुशी का विस्तार संभव है। यह प्रेरणादायक वचन निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा महाराज द्वारा नववर्ष के शुभ अवसर पर आयोजित सत्संग समारोह में व्यक्त किए गये।
इस सत्संग में विभिन्न क्षेत्रों से हजारों श्रद्धालुगण सम्मिलित हुए। सभी भक्तों ने नव वर्ष के प्रथम दिन सतगुरु माता एवं निरंकारी राजपिता के सानिध्य में उनके दिव्य दर्शन और प्रेरणादायक प्रवचनों से आत्मिक शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा का सुखद आनंद प्राप्त किया। सतगुरु माता ने अपने सम्बोधन में फरमाया कि नववर्ष केवल 2024 से 2025 का नम्बर परिवर्तन है। वास्तविकता में यह केवल इंसानी मस्तिष्क की बनायी गई अवधारणा है। निरंकार ने समय और सृष्टि को बनाया है, जिसमें अलग-अलग ग्रहों पर समय की अलग अवधारणा होती है। इसीलिए, नये वर्ष का अर्थ है हर क्षण को सार्थक बनाना। सच्ची खुशी और आनंद केवल निरंकार में समाहित है। इस नये वर्ष में हमें अपने जीवन को ऐसा बनाना है कि हम हर व्यक्ति तक इस सच्चाई को पहुंचा सकें। हमें अपने जीवन को इस तरह ढालना है कि हर पल, हर कार्य में निरंकार की महत्ता को समझ सके। सेवा, सुमिरन और संगत का वास्तविक अर्थ तभी प्रकट होगा, जब हम इसे दिल से अपनाएंगे। केवल मित्रता या सामाजिक दबाव के कारण अपनी आध्यात्मिकता में परिवर्तन नहीं करना चाहिए। सच्चे मन और जागरूकता से ही हम अपने जीवन को निरंकार से जोड़ पाएंगे। अपनी जिम्मेदारियों को निभाते हुए, हर कार्य में निरंकार को समाहित करना जरूरी है। यही वह मार्ग है, जो हमारे जीवन में आध्यात्मिक जागरूकता और संतोष का विस्तार करता है। इस नये वर्ष में हमें अपने पुराने अनुभवों से सीख लेकर, अपने भीतर की कमियों को सुधारते हुए अच्छाइयों को अपनाना चाहिए। मानवीय गुणों से युक्त जीवन ही सच्चा जीवन है। यह जानकारी चित्रकूट ब्रांच के मुखी शिवभवन व मीडिया सहायक सचिन श्रीवास्तव ने दी है।