राम नाम मणि दीप धर, जीह डेहरी द्वार, तुलसी भीतर बाहरेहु जो चाहसि उजियार

धर्मनगरी में चल रहे 52वें राष्ट्रीय रामायण मेला महोत्सव के तीसरे दिन रामकथा प्रवचन सभा में झांसी चिरगांव की...

राम नाम मणि दीप धर, जीह डेहरी द्वार, तुलसी भीतर बाहरेहु जो चाहसि उजियार

राम नाम की महिमा का मानस मर्मज्ञों ने किया बखान

चित्रकूट। धर्मनगरी में चल रहे 52वें राष्ट्रीय रामायण मेला महोत्सव के तीसरे दिन रामकथा प्रवचन सभा में झांसी चिरगांव की मानस मंदाकिनी पांडेय ने कहा कि भगवान श्रीराम के लिए हृदय में प्रेम नहीं होगा तो कथा कैसी होगा। गणिका ने कौन सा वेद पढा शबरी ने कौन सा यज्ञ किया जो भगवान के दर्शन हुए। जिसमें छल कपट नहीैं था। श्रीरामचरित मानस का उददेश्य है राम को जो जान लेता है वह प्रेम वशीभूत हो जाता है। सनत कुमार मिश्र रामायणी ने राम नाम की महिमा पर भावपूर्ण व्याख्यान देते हुए बताया कि राम नाम मणि दीप धर, जीह डेहरी द्वार तुलसी भीतर बाहरेहु जो चाहसि उजियार। बंदउ राम नाम रघुवर को हेतु कृसान भानु दिनकर को। बृजेन्द्र षास्त्री ने कहा यस्य मुखे रामो नीरिंत तस्य मुखे मध्याक्षरं कहकर राम नाम की महिमा का बखान करते हुए कहा कि यदि मथुरा को उल्टा कर दिया जाए तो राथुम शब्द होता है अर्थात जिसके मुख में राम नहीं है उसके मुंह में थू कर दिया जाता है अर्थात यम के दूत थूकते हुए मारते ले जाते हैं। शब्द के बारे में कहा कि राम नाम के समान मीठी वाणी गाई जाएगी तो जीवन के सारे विपदाओ का नाश हो जाएगा। यदि वाणी बाण की तरह गाई जाएगी तो जीवन में महाभारत हो जाएगा। जहां राम नाम की वीणा बजेगी वहां आनंद ही आनंद है। ग्वालियर के श्रीलाल पचौरी ने सगुण भक्ति भावना की महत्ता का भावपूर्ण कविता से प्रस्तुत किया। गोष्ठी का संचालन कवि रामलाल द्विवेदी प्राणेश ने किया।

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