बुंदेली सेना की मेहनत रंग लाई, कई वर्षों से नदी के बीच में जमें टीला को हटाया

तीन दिनों की अथक मेहनत के बाद बुंदेली सेना नें नया गाँव रपटा के पास नदी के बीच में बने दो टीलों में से एक टीले को पूरी तरह समाप्त कर दिया...

बुंदेली सेना की मेहनत रंग लाई, कई वर्षों से नदी के बीच में जमें टीला को हटाया

 तीन दिनों की अथक मेहनत के बाद बुंदेली सेना नें नया गाँव रपटा के पास नदी के बीच में बने दो टीलों में से एक टीले को पूरी तरह समाप्त कर दिया। पिछले कई वर्षों से यह टीले नदी को निर्बाध बहने में अवरोध उत्पन्न कर रहे थे। रविवार से दूसरे टीले में उगे चारे की सफाई का अभियान शुरु हुआ। अब इस टीले को भी पूरी तरह नदी से हटाने की योजना है।

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 बुंदेली सेना के जिलाध्यक्ष अजीत सिंह ने बताया कि नदी के बीच स्थित दो टीले नया गाँव रपटा के पास थे। इस वर्ष जिलाधिकारी अभिषेक आनंद से इन टीलों को हटवाने का अनुरोध किया गया। नगर पालिका की जेसीबी मशीन भेजी, लेकिन वह नदी में फंस गई। फिर खनिज विभाग ने एक पोकलेन मशीन भेजा। घाट में पहुंचकर मशीन के आपरेटर ने हांथ खड़े कर दिए। अधिकारियों ने बारिश के बाद समस्या निराकरण की बात कही। बारिश ज्यादा न होने के कारण बुंदेली सेना ने इन टीलों को श्रम शक्ति से हटाने का बीड़ा उठाया। तीन दिनों की अथक मेहनत के बाद सेना ने दो टीलों में एक लगभग 60 वर्ग फीट के टीले को पूरी तरह समाप्त कर दिया। 

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अब रविवार से दूसरे और लगभग 250 वर्ग फीट ब्यास वाले टीले की सफाई का अभियान शुरु हो गया है। बुंदेली सेना ने इस टीले को भी अगले 10 दिनों में पूरी तरह समाप्त करने की योजना बनाई है। एक टीला हटने से ही नदी में वर्षों से हो रहा अवरोध समाप्त हो गया है। टीला हटने से नदी में यहां कल-कल की आवाज शुरु हो गई है। इस कार्य में जानकी शरण गुप्ता का अहम योगदान रहा। इसके अलावा अतुल सिंह, वीपी पटेल, दादू केशरवानी समेंत टीम ने सहयोग किया

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