बांदाः पूर्व प्रधानाचार्य के घर में घुसकर मारपीट व लूटपाट के मामले में कोर्ट ने सब इंस्पेक्टर को भेजा जेल

अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश/ विशेष न्यायाधीश (दस्यु प्रभावित क्षेत्र अधिनियम) ने आज मंगलवार को एक पूर्व...

बांदाः पूर्व प्रधानाचार्य के घर में घुसकर मारपीट व लूटपाट के मामले में कोर्ट ने सब इंस्पेक्टर को भेजा जेल

वादी ने एक सब इंस्पेक्टर समेत 10 पुलिसकर्मियों को घटना में किया था नामित

34 साल पुराने इस मामले में कोर्ट के आदेश पर भी पुलिस विभाग ने नहीं लिया एक्शन

अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश/ विशेष न्यायाधीश (दस्यु प्रभावित क्षेत्र अधिनियम) ने आज मंगलवार को एक पूर्व प्रधानाचार्य के घर में घुसकर मारपीट तोड़फोड़ और लूटपाट के मामले में नामित किए गए तत्कालीन सब इंस्पेक्टर को जेल भेज दिया। 34 साल पुराने इस मामले में नामित किए गए पुलिस कर्मियों की गिरफ्तारी के लिए न्यायालय ने विभाग को निर्देशित किया था लेकिन अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गई। जिससे न्यायालय ने आज कोर्ट में हाजिर हुए सब इंस्पेक्टर को हिरासत में लेकर जेल भेजने के आदेश दिए।

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जिले के नरैनी थाना क्षेत्र अंतर्गत पडमई गांव निवासी बद्री प्रसाद पांडे जो राजकुमार इंटर कॉलेज नरैनी में प्रधानाचार्य थे। उनके घर में 8 मई 1989 को रात्रि लगभग 8 बजे नरैनी कोतवाली के तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक समेत 10 पुलिसकर्मियों ने धावा बोलकर बद्री प्रसाद पांडे और उनके परिजनों के साथ मारपीट करते हुए लूटपाट की घटना को भी अंजाम दिया था। इस घटना में बद्री प्रसाद पांडे के अलावा परिवार के मनमोहन तिवारी, राजेंद्र पांडे और उनके पुत्र बालकृष्ण पांडे गंभीर रूप से घायल हो गए थे। जिनका जिला अस्पताल में इलाज भी हुआ था। घटना के दौरान महिलाओं ने घर के दरवाजे बंद कर दिए थे। पुलिसकर्मियों ने दरवाजे तोड़कर महिलाओं के साथ घर में घुसकर मारपीट की व अलमारी में रखे जेवरात लूट लिया था। इस घटना के बाद वादी बद्री प्रसाद पांडे द्वारा पुलिस के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की तहरीर दी गई थी। लेकिन किसी तरह की कार्रवाई न होने पर उन्होंने न्यायालय की शरण ली। 

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29 अगस्त 1989 को मुकदमा दायर होने के बाद न्यायालय ने दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ वारंट जारी किया। लेकिन कोई पुलिसकर्मी हाजिर नहीं हुआ। इसके बाद एनपीडब्ल्यू और वारन्ट जारी हुए।  फिर भी पुलिस के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया गया। न्यायालय द्वारा पुलिस महानिरीक्षक लखनऊ आईजी जोन और डीआईजी को भी गिरफ्तारी के लिए आदेशित किया गया। इसके बाद भी इनके खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया गया। इस दौरान मुकदमे के वादी बद्री प्रसाद पांडे की 12 दिसंबर 2005 को मृत्यु हो गई। इनके स्थान पर उनके बेटे बालकृष्ण पांडे ने मुकदमे की पैरवी शुरू की।

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न्यायालय में लगातार चल रही सुनवाई के दौरान पुलिसकर्मी हाजिर नहीं हुए। हालांकि गिरफ्तारी से बचने के लिए न्यायालय में अग्रिम जमानत का प्रार्थना पत्र सब इंस्पेक्टर कमलापति त्रिपाठी व कांस्टेबल टीकाराम द्वारा दाखिल किया गया। जिसे न्यायालय ने खारिज कर दिया। तब दोनों पुलिसकर्मी इलाहाबाद हाईकोर्ट गए वहां से भी राहत नहीं मिली। उनकी अग्रिम जमानत याचिका हाईकोर्ट ने 3 मई 2023 को खारिज कर दी। तब सेवानिवृत्त सब इंस्पेक्टर कमलापति त्रिपाठी मंगलवार को न्यायालय में हाजिर हुए जिन्हें न्यायालय ने हिरासत में लेकर जेल भेजने के आदेश दिए।

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इस बारे में घटना की जानकारी देते हुए दिवंगत प्रधानाचार्य के पुत्र बालकृष्ण पांडे ने बताया कि इस मामले में पिता द्वारा सब इंस्पेक्टर फूलचंद त्रिपाठी, राजेंद्र सिंह प्रभारी निरीक्षक, राम अवतार सिंह यादव एसएसआई, कांस्टेबल सहदेव सिंह मदनलाल सिंह, सब इंस्पेक्टर कमलापति त्रिपाठी, कांस्टेबल सीताराम, रामदास, टेकचंद व देवी प्रसाद को आरोपी बनाया गया था। मुकदमे के दौरान आरोपी फूल चन्द्र त्रिपाठी, राजेंद्र सिंह यादव, राम अवतार यादव, देवी प्रसाद व टीका राम की मौत हो गई।

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