विधानसभा चरखारी, सत्ता के केंद्र में पहुँचने के लिये जातीय ध्रुवीकरण

आजादी के बाद महोबा - चरखारी व कुलपहाड़ को मिलाकर केवल एक विधानसभा थी। लेकिन परिसीमन के बाद में महोबा और चरखारी दो..

विधानसभा चरखारी, सत्ता के केंद्र में पहुँचने के लिये जातीय ध्रुवीकरण

आजादी के बाद महोबा - चरखारी व  कुलपहाड़ को मिलाकर केवल एक विधानसभा थी। लेकिन परिसीमन के बाद में महोबा और चरखारी दो अलग अलग विधानसभा हो गईं। इसमें चरखारी विधानसभा अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो गई थी। जबकि महोबा सामान्य विधानसभा रही। 2007 का विधानसभा चुनाव आरक्षित रूप से लड़ा गया आखिरी चुनाव था। जिसमें बसपा प्रत्याशी अनिल कुमार ने सपा प्रत्याशी अम्बेश कुमारी को हराया था। 

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  • 2012 में चरखारी सीट हुई सामान्य 
  • 2012 में चरखारी सीट को सामान्य घोषित कर दिया गया। जबकि हमीरपुर की राठ विधानसभा सीट को आरक्षित कर दिया गया।

महोबा जिले की चरखारी विधानसभा सीट जातीय ध्रुवीकरण का शिकार हो गई है। पहले अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित रही चरखारी सीट के सामान्य होने के बाद से इस सीट से लोधी राजपूत विधायक ही निर्वाचित हो रहे हैं। मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती को जब यूपी से चुनाव लडाया गया तो लोधी मतदाता बाहुल्य चरखारी सीट को ही उनके लिए चुना गया था। 

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  • चरखारी विधानसभा पहले अनुसूचित जाति के लिए रही है आरक्षित
  • भाजपा ने म.प्र की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती को उतारा था चुनाव मैदान में

आरक्षित वर्ग से हटाकर सामान्य बनाए जाने के बाद 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में लोधी मतदाता बाहुल्य इस सीट पर अपनी विजय सुनिश्चित करने के लिए मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती को चुनाव मैदान में उतारा था। उमा भारती ने सपा के कप्तान सिंह राजपूत को 25000 मतों के अंतर से पराजित किया था। 

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  • चरखारी से राजपूत ही हो रहा है निर्वाचित 

2012 से लेकर 2017 के मध्य में चरखारी में चार बार चुनाव हुए हैं। एवं चारों बार लोधी राजपूत प्रत्याशी ही चुना गया है। 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने उमा भारती को झांसी सीट से चुनाव मैदान में उतारा था। जिस कारण उमा भारती ने चरखारी सीट से इस्तीफा दे दिया था। उपचुनाव में सपा के कप्तान सिंह राजपूत विजय हुए थे।

लेकिन कप्तान सिंह को एक मामले में सजा हो जाने के कारण 2015 में फिर उपचुनाव हुए। दोबारा हुए उपचुनाव में सपा ने कप्तान सिंह की पत्नी उर्मिला राजपूत को चुनाव मैदान में उतारा। उर्मिला राजपूत जीतने में सफल रहीं। 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने तीन बार सांसद रहे गंगाचरण राजपूत के बेटे ब्रजभूषण राजपूत को चुनाव में उतारा था। ब्रजभूषण राजपूत ने सपा की उर्मिला राजपूत को 44000 मतों के भारी अंतर से पराजित किया था। 

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  • एक बार फिर राजपूत प्रत्याशियों पर लगा है दांव 

2022 विधानसभा चुनाव में ज्यादातर पार्टियों ने राजपूत प्रत्याशियों को ही चुनाव मैदान में उतारा है। भाजपा ने निवर्तमान विधायक ब्रजभूषण राजपूत , बसपा ने विनोद राजपूत को टिकट दिया है। सपा ने पहले अजेन्द्र राजपूत को टिकट दिया था। लेकिन भाजपा प्रत्याशी के सीधे रिश्तेदार होने के कारण व संगठन के विरोध के चलते सपा ने ऐन टाइम पर अजेन्द्र राजपूत का टिकट काटकर रामजीवन यादव को टिकट दे दिया है।

आम आदमी पार्टी व बाबू सिंह कुशवाहा की जन अधिकार पार्टी ने भी राजपूत प्रत्याशी को चुनाव मैदान में उतारा है। एक जाति विशेष के लोगों को ज्यादातर पार्टियां द्वारा टिकट थमाए जाने से चरखारी सीट पर उस जाति का ठप्पा लगता जा रहा है। जो एक नए तरह का आरक्षण साबित हो रहा है।

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