सपा व भाजपा के बीच है कांटे की टक्कर
चित्रकूट विधानसभा सीट में वर्ष 2017 में भाजपा की लहर में प्रदेश के निवर्तमान मंत्री चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय चुनाव जीते थे..
अनिल शर्मा (Anil Sharma)
- बसपा चुनाव को त्रिकोणात्मक बनाने में जुटी
चित्रकूट विधानसभा सीट में वर्ष 2017 में भाजपा की लहर में प्रदेश के निवर्तमान मंत्री चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय चुनाव जीते थे। भाजपा के मृदुभाषी, कर्मठ व ईमानदार राज्यमंत्री का तमगा पाये श्री उपाध्याय को भाजपा ने दोबारा टिकट दे दिया है। जबकि सपा ने अपना प्रत्याशी अनिल प्रधान पटेल को बनाया है, इसी तरह बसपा ने अपना प्रत्याशी पुष्पेंद्र सिंह को बनाया है, जबकि कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी निर्मला भारती को बनाया है।
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पिछली बार वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में मोदी लहर थी, जो वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव में सुनामी में बदल गई। इसीलिए भाजपा को बुंदेलखंड की सभी 19 में से 19 सीटों में अच्छे अंतर से जीत मिली थी। जबकि विपक्षी दलों का बुंदेलखंड में सूपड़ा साफ हो गया था। भाजपा की लहर का लाभ भाजपा के प्रत्याशी रहे चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय को भरपूर मिला। कर्मठ और ईमानदार होने की छवि का लाभ भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की सहमति से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन्हें अपने मंत्रिमंडल में राज्यमंत्री बनाकर उनका कद और बढ़ा दिया था। भाजपा ने दूसरी बार श्री उपाध्याय को टिकट दिया है, लेकिन इस बार न तो वैसी भाजपा के पक्ष में लहर है और ना ही मोदी की सुनामी का प्रभाव। इस बार का विधानसभा चुनाव विशुद्ध रूप से जातिवादी चुनाव है।
अगर जातियों के हिसाब से चित्रकूट की सीट को देखा जाए तो यहां पर सबसे ज्यादा मतदाताओं की संख्या दलितों की है जो लगभग 70 हजार है। इसके अलावा कोरी-धोबी 6-6 हजार, कोल-खटीक 4-4 हजार, बाल्मिकी 8 हजार हैं। जबकि सवर्णों में सबसे ज्यादा 50 हजार मतदाता ब्राह्मण जाति के हैं। इसके बाद ठाकुर जाति के मतदाताओं की संख्या 35 हजार है, जबकि वैश्य समाज के मतदाताओं की संख्या भी 35 हजार के लगभग है, जिसमें 4 हजार मतदाता सुनार जाति के भी शामिल हैं। कायस्थों की संख्या 4000 है। इसी तरह पटेल बिरादरी के मतदाताओं की संख्या लगभग 40 हजार है, प्रजापति 10 हजार, पाल 8 हजार, निषाद केवट 15 हजार, राठौर 6 हजार, जायसवाल 5 हजार, सविता 5 हजार, लोहार-बढ़ई 6 हजार, साहू 6 हजार और आरख 8 हजार हैं।
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इस जातीय समीकरण को देखा जाए तो सपा ने अनिल प्रधान पटेल को प्रत्याशी बनाकर इस बार भाजपा प्रत्याशी व निवर्तमान मंत्री चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय को चुनाव में तगड़ी चुनौती दी है। सपा प्रत्याशी अनिल प्रधान पटेल के पास उसका जाति आधार वोट पटेल जाति के मतदाताओं की संख्या लगभग 40 हजार है, इसी तरह सपा का आधार वोट यादव, जो लगभग 45 हजार है, जबकि मुस्लिम मतदाताओं की संख्या लगभग 20 हजार है। इस तरह से यह तीनों मिलाकर 1 लाख 5 हजार हो जाते हैं। इनका यदि 60 फीसदी वोट भी पड़ा तो सपा प्रत्याशी 60 से 65 हजार वोट पाने में सफल हो जाएगा। इसके अलावा यदि उसे अन्य पिछड़ी और अति पिछड़ी के साथ साथ दलित और अति दलित जातियों का भी थोड़ा बहुत वोट मिल गया तो सपा प्रत्याशी 1 लाख वोटों के आसपास पहुंच सकता है।
भाजपा का आधार वोट ब्राह्मण 50 हजार है तो ठाकुर 35 हजार और वैश्य 35 हजार है। इसके अलावा कायस्थ 4 हजार, राठौर 6 हजार, केवट 15 हजार, कोरी 10 हजार, साहू 6 हजार आदि जातियों का भी कुछ-कुछ वोट मिल जाता है तो यह संख्या बढ़कर 1 लाख 46 हजार से अधिक हो जाती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कारण राठौर-साहू सहित तमाम पिछड़ी जातियों का वोट भाजपा को मिलने लगा है, इसे अगर मिला दिया जाए तो भाजपा का प्रत्याशी भी एक लाख से अधिक वोट पाने की स्थिति में पहुंच जाएगा। इसी तरह बसपा प्रत्याशी बलवीर पाल अपनी जाति के 10 हजार वोट के अलावा बसपा का आधार वोट दलित समाज, जो लगभग 60 हजार है, जिसमें धोबी 6 हजार, कोल 3 हजार, खटीक 4 हजार, वाल्मीकि 8 हजार है। इनका भी यदि बड़ी संख्या में वोट दलित समाज के प्रत्याशी को मिल जाता है तो बसपा का प्रत्याशी 60 से 70 हजार वोटों के बीच ही पहुंच पाता है। इसलिए इस बार भाजपा प्रत्याशी निवर्तमान मंत्री चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय और सपा प्रत्याशी अनिल प्रधान पटेल के बीच कांटे की टक्कर होती नजर आ रही है।
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