पिता की मौत का गम नहीं डिगा सका आनंद को, यूपीएससी परीक्षा में मिली 30 वीं रैंक

अगर आप में कुछ कर दिखाने का हौसला है, तो दुनिया की कोई भी बाधा आपको सफल होने से नहीं रोक सकती है। जनपद बांदा निवासी आनंद सिंह राजपूत की कुछ इसी तरह की कहानी है...

पिता की मौत का गम नहीं डिगा सका आनंद को, यूपीएससी परीक्षा में मिली 30 वीं रैंक

अगर आप में कुछ कर दिखाने का हौसला है, तो दुनिया की कोई भी बाधा आपको सफल होने से नहीं रोक सकती है। जनपद बांदा निवासी आनंद सिंह राजपूत की कुछ इसी तरह की कहानी है। दरअसल आनंद सिंह राजपूत के इंटरव्यू से एक दिन पहले ही पिता की हार्ट अटैक से मौत हो गई थी, लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी और यूपीएससी एक्जाम क्रैक करके अपने दिवंगत पिता को सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित की।

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शहर के अलीगंज चुंगी चौकी निवासी आनंद सिंह राजपूत यूपीपीसीएस 2023 की तैयारी कर रहा था। जिस दिन इंटरव्यू था, उसके एक दिन पहले ही पिता की हार्ट अटैक से मौत ने उसे हिला कर रख दिया। वह बाहर रहकर तैयारी कर रहा था।वह बताता है कि जब पिता की मौत की खबर मिली तो एक बार कदम डगमगाए। लेकिन मुझे पिता के वो सपने याद आए आए, जो मुझे बड़ा अफसर बनने का सपना संजोए हुए थे। पिता के सपने पूरे करने के इरादे से मैंने अपने आंखों से झर झर बह रहे आंसुओं को पोंछ डाला और हिम्मत करके इंटरव्यू देने पहुंच गया। इंटरव्यू देने के बाद घर वापस आया और दिवंगत पिता का अंतिम संस्कार किया। आज मुझे खुशी है कि मैं अपने पिता के सपनों को पूरा कर पाया।

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बेटे को पीसीएस परीक्षा में मिली 30 वीं रैंक से जहां पूरा परिवार खुश है। वहीं मां की आंखों में आंसू छलक रहे थे। वह रोते हुए बताती हैं कि आज मेरे बेटे ने अपने पिता का सपना पूरा किया है, लेकिन इस कामयाबी को देखने के लिए उनके पिता इस दुनिया में नहीं है। अगर आज वह जिंदा होते तो बहुत खुश होते, उनकी खुशी से हम सब की खुशी दोगुनी हो जाती।

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शहर के अतर्रा चुंगी निवासी शिक्षक रहे स्वर्गीय नंद कुमार सिंह और मां माया देवी अनुदेशक के पुत्र आनंद राजपूत की प्रारम्भिक शिक्षा शिशु मंदिर शास्त्री नगर और कक्षा 6 से 12 तक सरस्वती विद्या मंदिर शास्त्री नगर से हुई। अपने स्कूली दिनों से मेधावी रहे आनंद ने स्नातक अतर्रा डिग्री कॉलेज से पूरा किया। दिल्ली में रहकर प्रशासनिक सेवाओं की तैयारी की,अपनी मेहनत और लगन तथा परिजनों और शिक्षकों के आशीर्वाद से आनंद को अपने दूसरे प्रयास में सफलता हाथ लगी है। माता-पिता ने हमेशा आगे बढ़ाने के लिए हिम्मत दी और फैसला बढ़ाया जिनके आशीर्वाद और अपनी मेहनत लगन से यह मुकाम हासिल करने में सफलता मिली और डिप्टी जेलर बन सके।

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आनंद ने इस सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और गुरुओं को दिया है। साथ ही यह सफलता कैसे मिली इसके लिए छात्रों को नसीहत भी दी है। उन्होंने अनुभव साझा करते हुए कहा कि वह प्रतिदिन समाचार पत्र का अध्ययन करें, इन्हें पढने के बाद प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करें बेसिक किताब पढ़ें, उन्हें रिपीट भी करते रहें। ऐसा करने से निश्चित ही सफलता मिलेगी।

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