कृषि विश्वविद्यालय का दावा, नियुक्तियों के मामले में नहीं हो रही कोई जांच
कृषि विश्वविद्यालय में की गई भर्तियों को लेकर मचे बवाल के बाद विश्वविद्यालय द्वारा दावा किया गया है की चयन समिति द्वारा सभी चयनित..
कृषि विश्वविद्यालय में की गई भर्तियों को लेकर मचे बवाल के बाद विश्वविद्यालय द्वारा दावा किया गया है की चयन समिति द्वारा सभी चयनित शिक्षकों का चयन उनकी योग्यता के आधार पर किया गया है।इस मामले में उत्तर प्रदेश शासन द्वारा जांच के आदेश नहीं दिए गए हैं और न ही इस प्रकार का कोई आदेश विश्वविद्यालय को प्राप्त हुआ है।
यह जानकारी एक विज्ञप्ति में कृषि विश्वविद्यालय बांदा के जनसंपर्क अधिकारी डॉ बीके गुप्ता ने दी। उन्होंने बताया कि विज्ञापन संख्या 01/2020 एवं विज्ञापन संख्या 01/ 2021 के द्वारा शैक्षणिक श्रेणी के कुल 40 पदों (प्राध्यापक के 8 पद, सह प्राध्यापक के 14 पद तथा सहायक प्राध्यापक के 18 पद) को विज्ञापित किया गया था जिसमें से अनारक्षित श्रेणी के 18 पद ,अन्य पिछड़ा वर्ग के 11 पद, अनुसूचित जाति के 9 पद तथा आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के 2 पद विज्ञापित किए गए थे।
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दोनों विज्ञापनों में विज्ञापित कुल 40 पदों में 24 पदों पर उपयुक्त अभ्यर्थी पाए गए।जिनमें आरक्षित श्रेणी के 16 पद अन्य पिछड़ा वर्ग के 5 पद एवं अनुसूचित जाति के 3 पदों पर अभ्यर्थियों का चयन किया गया। शेष 16 पदो में उपयुक्त अभ्यर्थी न पाए जाने के कारण पद रिक्त रह गए।
श्री गुप्ता ने बताया कि विश्वविद्यालय के एक्ट के अनुसार चयन समिति में कुलपति अध्यक्ष होते हैं।इनके अतिरिक्त राज्यपाल उत्तर प्रदेश द्वारा नामित दो विषय विशेषज्ञ ,एक अधिष्ठाता, एक विभागाध्यक्ष, एक ओबीसी व एक अनुसूचित जाति के सदस्यों की समिति द्वारा चयन किया जाता है।
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अभ्यर्थियों का चयन उनके द्वारा स्कोर कार्ड में प्राप्त अंकों,प्रस्तुतीकरण तथा साक्षात्कार के चयन समिति के सदस्यों द्वारा अभ्यर्थियों की दक्षता के आधार पर प्राप्त अंकों को जोड़कर उनका औसत निकाल कर मेरिट तैयार कर प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान पर अभ्यर्थियों की सूची तैयार की जाती है।साक्षात्कार की संपूर्ण वीडियोग्राफी कराकर रिकॉर्ड में रखी गई है।
विभिन्न श्रेणियों के कुल रिक्त 16 पदों पर भर्ती के लिए पदों की सूची के अनुसार आगामी विज्ञापन प्रकाशित कराया जाएगा। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय प्रशासन पूरी लगन व निष्ठा से सतत प्रयासरत है।विश्वविद्यालय में हुई नियुक्तियों के बारे में कुछ लोगों द्वारा भ्रामक तथ्यहीन बातें फैला कर विश्वविद्यालय की छवि धूमिल करने का प्रयास किया जा रहा है जो निंदनीय है।
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