झांसी के इस सम्पादक को जेल भेजा तो पिता ने संभाला कारसेवकों की खबरों का जिम्मा
सन् 1990 से लेकर 1992 तक श्रीराम मंदिर और कारसेवकों से संबंधित खबरों के लिए झांसी से प्रकाशित होने वाले साप्ताहिक समाचार पत्र यज्ञोपवीत की भी महती भूमिका रही...
@ महेश पटैरिया, झांसी
- संपादक के जेल जाने के बाद उनके पिता ने निभाया था समाचार संपादन का धर्म
यहां तक कि जब दैनिक समाचार पत्रों में खबरों पर शासन और प्रशासन ने अंकुश लगा दिया, तब यज्ञोपवीत ने ऐसी तमाम खबरों को प्रकाशित करने का धर्म निभाया जो बड़े समाचार पत्रों की सुर्खियां नहीं बन पाईं। यहां तक कि इसके संपादक को कारसेवा के दौरान जेल भेज दिया गया। इनके जेल जाने के बाद समाचार संपादन का दायित्व उनके पिता ने निवर्हन किया।
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अपने पुत्र को श्रीराम मंदिर निर्माण कार्य का सौभाग्यशाली कारसेवक बताते हुए यज्ञोपवीत के संपादक सुबोध गुबरेले के 86 वर्षीय पिता पं. गोपाल दास गुबरेले ने बताया कि सुबोध को तो पुलिस ने राम ज्योति यात्रा रथ के झांसी आते ही गिरफ्तार कर उरई जेल भेज दिया था। उसके बाद समाचार संपादन की कमान उनके हाथ में आ गई। इस जिम्मेदारी को शासकीय सेवा में रहते हुए भी उन्होंने बखूबी निभाया। हालांकि इस दौरान तत्कालीन शासन और प्रशासन के मातहतों ने उन्हें डराने का भी प्रयास किया लेकिन उन्होंने इसकी परवाह नहीं की।
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उन्होंने बताया कि कारसेवा के दौरान अयोध्या के साथ झांसी की भी बड़ी भूमिका रही है। दक्षिण भारत के सभी राज्यों का प्रवेश द्वार झांसी होने के चलते अयोध्या से भी अधिक कारसेवकों का तांता झांसी में लगा रहता था और कारसेवकों से जुड़ी छोटी से लेकर हर बड़ी खबर यज्ञोपवीत का हिस्सा होती थी, इसलिए अयोध्या में बैठे संत महात्मा और आंदोलन के संचालक झांसी की खबरें विस्तार से जानने के लिए यज्ञोपवीत को पढ़ना पसन्द करते थे। यहां तक कि आंदोलन के बाद जब श्री गुबरेले अपने परिवार के साथ श्रीराम जन्मभूमि के दर्शन के लिए गए और वहां उन्होंने अपना परिचय दिया तो तमाम संत-महात्मा उनसे दक्षिणा भी नहीं लेते थे। उनका कहना था कि ऐसे समय में आपने अपने धर्म का निर्वहन करते हुए समाचार पत्र के माध्यम से अपनी दक्षिणा प्रभु श्रीराम के चरणों में पहले ही अर्पित कर दी है।
(हिन्दुस्थान समाचार)