आल्हा ऊदल की याद मे लगने वाले कजली मेला को कोरोना का ग्रहण 

रणबांकुरे आल्हा ऊदल के पौरूष तथा वीर गाथाओ से ओत प्रोत सदियो पुराने कजली मेले को भी वैश्विक कोरोना जैसी महामारी का ग्रहण..

Aug 23, 2021 - 08:24
Aug 23, 2021 - 09:06
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आल्हा ऊदल की याद मे लगने वाले कजली मेला को कोरोना का ग्रहण 

मिट गयी सदियों पुरानी परम्परा, सूना रहा शहर

रणबांकुरे आल्हा ऊदल के पौरूष तथा वीर गाथाओ से ओत प्रोत सदियो पुराने कजली मेले को भी वैश्विक कोरोना जैसी महामारी का ग्रहण लग गया है। स्मरण रहे कि 11वीं सदी मे आल्हा ऊदल तथा दिल्ली नरेश पृथ्वीराज चौहान के मध्य चंदेल कालीन कीरत सागर के तट पर भीषण युद्ध हुआ था।

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दिल्ली नरेश पृथ्वीराज चौहान तथा महोबा नरेश परमाल एवं उनके मुख्य सेनानायक आल्हा ऊदल तथा मलखान आदि योद्धाओ के मध्य हुए युद्ध मे पृथ्वीराज चौहान के जेष्ठ पुत्र ताहर और 22 बेटे सहित सैकड़ो सैनिक मारे गये थे तथा महोबा नरेश परमाल का छोटा बेटा रणजीत, भतीजा अभई भी शहीद हुआ था। तभी से आल्हा ऊदल की यादगार मे कजली मेले का आयोजन होता चला आ रहा है।

ALHA UDHAL MAHOBA

कीरत सागर के तट पर भुजरिया विसर्जन और मेले का आयोजन परमा के रोज तथा दोज के दिन आल्हा ऊदल के गुरू अमरा की तपोस्थली गुखार पहाड़ के भूतल मे स्थित शिवताण्डव, का कालभैरव मंदिर प्रागण मे मेले का आयोजन किया जाता रहा है।

हवेली दरवाजा प्रागण मे युद्ध मे शहीदो की यादगार मे मेले का आयोजन होता रहा है। कुछ वर्ष पूर्व तथा कथित समाजसेवियो की कूटनीति के चलते शासन प्रशासन से मिलकर मेले को कीरत सागर के तट तक ही सीमित कर दिया था। हालाकि नगर पालिका परिषद द्वारा उक्त परम्पराओ का निर्वाहन उपरोक्त तीनो स्थानो पर किया जाता रहा है। दोज के दिन गुखार पहाड़ के भूतल पर मेला और दंगल का आयोजन होता रहा है।

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वैश्विक महामारी के चलते दो वर्ष से कजली मेले का आयोजन आयोजको द्वारा शासन प्रशासन के आदेश पर स्थगित कर दिया गया है। चूकि महोबा का कजली मेला बुंदेलखण्ड का बहुचर्चित था। हर वर्ष कजली मेले का लुप्त लेने के लिए लाखो की भीड़ चंदेल कालीन सरोवर कीरत सागर के तट पर एकत्र होती थी एक माह पूर्व से कीरत सागर के तट पर झूले तथा सर्कस आदि के तम्बू तन जाते थे। कजली मेले के अवसर पर आल्हा, ऊदल, गुरू अमरा, चंदेल नरेश परमादिदेव आदि योद्धाओ की संजीव झाकियो का प्रर्दशन होता आ रहा है।

ALHA UDHAL MAHOBA

सदियो वर्ष पुरानी चली आ रही परम्परा पर कोरोना काल के चलते शासन प्रशासन द्वारा रोक लगाये जाने से मेला दर्शको मे मायूसी छायी हुई है। देश विदेश के हर कोने से पर्यटक बर्षों से कजली मेले में शामिल होते आये एवं पुरातन इतिहास से परिचित होते आये है, इस समय महोबा शहर की रौनक देखते ही बनती थी, ये ऐतेहसिकता निरन्तर न होने से आमजन में बेहद निराशा देखी गयी।

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