पंचायत सहायकों ने भरी हुंकार, अपने अधिकारों के लिए 11 को करेंगे शंखनाद
ग्राम प्रधान सचिव और अधिकारियों को कुंभकरणी नींद से जगाने के लिए पंचायत सहायकों ने 11 सितंबर से अपने अधिकारों व ससमय मानदेय भुगतान आदि मांगों को लेकर आंदोलन ...
 
                                बांदा,
ग्राम प्रधान सचिव और अधिकारियों को कुंभकरणी नींद से जगाने के लिए पंचायत सहायकों ने 11 सितंबर से अपने अधिकारों व ससमय मानदेय भुगतान आदि मांगों को लेकर आंदोलन करने का निर्णय लिया है। इसकी शुरुआत सोमवार से संगठन के जिला अध्यक्ष गया प्रसाद निषाद उर्फ जीपी भैया के नेतृत्व में होगी। सभी पंचायत सहायक रोडवेज के पास एकत्र होकर जुलूस की शक्ल में जिला अधिकारी कार्यालय पहुंचकर ज्ञापन भी सौंपेंगे ।
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इनका कहना कि गांवों के विकास के लिए योगी सरकार ने हर ग्राम पंचायत में पंचायत सहायको की भर्ती की थी। जिसमें पढ़े लिखे शिक्षित व अपने गांव के टापर युवक और युवतियों ने भाग लेकर और अच्छा प्रदर्शन कर यह पद हासिल किया। मगर आज ग्राम प्रधान, सचिव की तानाशाही और उच्च अधिकारियों की लापरवाही के चलते पंचायत सहायकों के वो हाल हो गए हैं कि धोबी का कुत्ता घर का ना घाट का। बेचारे पंचायत सहायक न तो कोई और बिजनेस कर सकते हैं न कहीं बाहर जाकर अपनी तैयारी कर सकते है। मात्र 6000 रूपये में ही अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं। परन्तु सचिव प्रधान की तानाशाही व अधिकारियों के लापरवाही के चलते समय से मानदेय भी नहीं मिल पाता है। 
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जिलाध्यक्ष जीपी भइया ने बताया कि  किसी पंचायत सहायक का 1 साल, किसी किसी का 18 माह तक मानदेय नहीं दिया जाता है और दबाव डालकर काम करवाया जाता है। मानदेय भुगतान के लिए कोई नहीं सुनता और शिकायती पत्रों का फर्जी निस्तारण किया जाता है। बेचारे पंचायत सहायक दिन भर पंचायत भवन में बैठे रहते हैं और अपनी जिंदगी को कोसते रहते हैं। वास्तव में शासनादेश के नियमानुसार पंचायत सहायक से उसके वास्तविक काम न करवाकर उनसे मनचाहा काम करवाया जाता है। सचिव प्रधान और अधिकारियों द्वारा जबरन दबाव डालकर और उनके वास्तविक कार्यों से जानबूझ उन्हें दूर रखा जा रहा है। 
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योगी सरकार में पूरी तरह से शासनादेशों का हनन हो रहा है और शिकायती पत्रों का खिलवाडी समाधान व फर्जी निस्तारण किया जा रहा है। पंचायत सहायकों की भर्ती जिस उद्देश्य से हुईं हैंे बावजूद उसके मनमानी पूर्ण कार्य करवाया जा रहा है। योगी सरकार की परिकल्पना को निरर्थक करने का पूरा प्रयास किया जा रहा और प्रशासन भी आंख बन्द करके चुपचाप देख रहा है। पंचायत सहायकों का मुख्य कार्य शासनादेश के अनुसार पंचायत भवन का रख रखाव, सुचारू रूप से उसका क्रियान्वयन और आफिस में रहकर पंचायत के समस्त आनलाइन व आफलाइन कार्य जैसे जन्म - मृत्यु पंजीकरण, परिवार रजिस्टर की नकल, ई ग्राम स्वराज के सभी भुगतान करना, कार्य योजना की फीडिंग, ग्राम सभा की बैठकों में योगदान, मनरेगा मजदूरों का पंजीकरण, मनरेगा मस्टर रोल निकालना, मनरेगा की समस्त आनलाइन फीडिंग, शौचालय आवेदन, जियो टैगिंग, वृद्धा पेंशन, विधवा पेंशन, विकलांग पेंशन आदि समस्त आनलाइन व तकनीकी कार्यों के क्रियान्वयन व सचिवालय में रहकर मिनी सचिव की भांति सिर्फ कार्यालयों के कार्य के लिए पंचायत सहायकों को रखा गया है। परन्तु जिले में सचिव प्रधान और अधिकारी मिलकर अपनी अलग खिचड़ी पकाते हैं जो मन किया वो काम करवाते है।
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जिलाध्यक्ष जीपी भइया के मुताबिक बांदा जिलें 469 पंचायत सहायकों में करीब 350 से अधिक पंचायत सहायकों का मानदेय भुगतान नहीं हुआ है वो भी किसी का 1 साल से किसी का 18 से 15 माह तक का मानदेय नहीं दिया गया है। ऐसी तमाम परेशानियों शोषण व अन्याय अत्याचार से पीड़ित होकर समस्त पंचायत सहायक जिलाध्यक्ष गयाप्रसाद निषाद जी उर्फ जीपी भइया के नेतृत्व में आन्दोलन करने का बीड़ा उठाया है।
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