आज़ादी का उत्सव नहीं, ज़िम्मेदारी का संकल्प
15 अगस्त की सुबह जब तिरंगा आसमान में लहराता है, तो हर भारतीय का दिल गर्व से भर उठता है। यह वो दिन है जब हमें याद दिलाया जाता है...

डॉ. रघुराज प्रताप सिंह की अपील: "तिरंगे को केवल लहराइए मत, उसे अपने आचरण में भी बसाइए।"
नई दिल्ली। 15 अगस्त की सुबह जब तिरंगा आसमान में लहराता है, तो हर भारतीय का दिल गर्व से भर उठता है। यह वो दिन है जब हमें याद दिलाया जाता है कि हमारी आज़ादी अनगिनत बलिदानों के बाद मिली है। लेकिन क्या हम इन बलिदानों की क़द्र कर रहे हैं? क्या हमारी आज़ादी केवल एक छुट्टी और औपचारिकता बनकर रह गई है? पीपल मैन ऑफ़ इंडिया के नाम से मशहूर डॉ. रघुराज प्रताप सिंह ने इस पर गहरा चिंतन करते हुए एक महत्वपूर्ण संदेश दिया है।
आज़ादी का सही अर्थ: ज़िम्मेदारी
डॉ. सिंह का कहना है कि आज़ादी का मतलब सिर्फ़ बेड़ियाँ टूटना नहीं, बल्कि अपने भीतर की ज़िम्मेदारी को जगाना है। उन्होंने सवाल किया, "अगर हम गंदगी फैलाएँ और सरकार से स्वच्छता की उम्मीद करें, तो यह कैसी आज़ादी है? अगर हम पानी बर्बाद करें और बारिश को कोसें, तो यह कैसी आज़ादी है? अगर हम भ्रष्टाचार को देखते हुए चुप रहें, तो यह कैसी आज़ादी है?"
उनका मानना है कि भारत को अब दूसरी आज़ादी चाहिए। यह आज़ादी भ्रष्टाचार, प्रदूषण, अन्याय और अपनी ही उदासीनता से होगी।
देशभक्ति का नया अर्थ
डॉ. सिंह ने देशभक्ति की एक नई परिभाषा दी है। उनके अनुसार, सिर्फ़ सीमा पर लड़ना ही देशभक्ति नहीं है। एक पेड़ लगाना, किसी बच्चे को पढ़ाना, या किसी गलत काम के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाना भी देशभक्ति है।
उन्होंने इस स्वतंत्रता दिवस पर सभी से एक प्रण लेने की अपील की है, "मैं भारत को केवल महान नहीं, बल्कि हरियाली, ईमानदारी और मानवता का प्रतीक बनाऊँगा।"
सच्ची श्रद्धांजलि
डॉ. रघुराज प्रताप सिंह ने कहा कि सच्ची श्रद्धांजलि तभी होगी, जब हर नागरिक अपने हिस्से की ज़िम्मेदारी उठाएगा। तभी भारत वह बन पाएगा जिसका सपना भगत सिंह, गांधी, नेहरू, सुभाष और अनगिनत शहीदों ने देखा था।
आइए, इस स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगे को केवल लहराएँ नहीं, बल्कि उसे अपने जीवन में भी उतारें। यही उन शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
जय हिंद! जय भारत!
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