आखिर क्यों बदलना पड़ा झांसी रेलवे स्टेशन का नाम ? नाम बदलने में माया अखिलेश भी कम नहीं

स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई से लेकर आजादी तक का गवाह रहा झांसी रेलवे स्टेशन अब वीरांगना लक्ष्मीबाई के नाम से जाना जाएगा..

आखिर क्यों बदलना पड़ा झांसी रेलवे स्टेशन का नाम ? नाम बदलने में माया अखिलेश भी कम नहीं
झांसी रेलवे स्टेशन (Jhansi railway station)

स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई से लेकर आजादी तक का गवाह रहा झांसी रेलवे स्टेशन अब वीरांगना लक्ष्मीबाई के नाम से जाना जाएगा। एक जनवरी को यह रेलवे स्टेशन 133 पूरे करेगा। इसका उद्घाटन एक जनवरी वर्ष 1889 को हुआ था। ग्रेट इंडियन पेनिनसुलर रेलवे ने इसको स्थापित किया था। राज्य सरकार ने कुछ माह पहले केंद्र सरकार को झांसी रेलवे स्टेशन का नामकरण वीरांगना लक्ष्मीबाई के नाम पर करने का प्रस्ताव भेजा था। इस संबंध में बुधवार को अधिसूचना जारी कर दी गई।

रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि रेल मंत्रालय से आधिकारिक आदेश मिलते ही मंडल रेल प्रशासन नाम बदलने की विभागीय प्रक्रिया शुरू कर देगा। इसके तहत स्टेशन कोड में भी बदलाव किया जाएगा। झांसी रेलवे स्टेशन का नाम बदलने का प्रस्ताव तीन महीने पहले गृह मंत्रालय को भेजा गया था। केंद्र द्वारा प्रस्ताव को स्वीकार करने के बाद झांसी इस सूची में नवीनतम जोड़ा गया स्‍टेशन है।

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  • इस तरह हुआ स्टेशन का निर्माण

इसका उद्घाटन एक जनवरी वर्ष 1889 को हुआ था। ग्रेट इंडियन पेनिनसुलर रेलवे ने इसको स्थापित किया था। शुरुआत में भाप के इंजन से इक्का-दुक्का ट्रेनें ही चलती थीं,मिलिट्री सिविल प्रशासन ने जुलाई 1886 में इस स्थान का अंतिम रूप से चयन कर भूमि अधिग्रहण की थी। सबसे पहले अप और डाउन पैसेंजर प्लेटफार्म, एक प्रतीक्षालय, पहूंज बांध, अधिकारियों व कर्मचारियों के लिए आवास का निर्माण हुआ। इसके बाद झांसी स्टेशन का उद्घाटन एक जनवरी 1889 को हुआ। इंडियन मिडलैंड रेलवे, जिसका मुख्यालय झांसी था।

इसके द्वारा झांसी से कानपुर, ग्वालियर तक लाइन डलवाई गई। सन् 1878 से 1881 के मध्य में ग्वालियर आगरा खंड का निर्माण सिंधिया स्टेट ने किया। साल 1885 में आगरा-मथुरा रेलखंड, 1889 में झांसी-मऊरानीपुर, मऊरानीपुर-बांदा, बांदा-मानिकपुर खंड का निर्माण कार्य इंडियन मिडलैंड रेलवे ने किया। झांसी रेल मंडल का विस्तार पहले तुगलकाबाद से इटारसी तक था। इसी के एक हिस्से को लेकर 1985 में भोपाल मंडल बनाया गया। आज पूरे देश को उत्तर से दक्षिण और पूरब से पश्चिम तक जोड़ने की वजह से झांसी एक महत्वपूर्ण स्टेशन बन चुका है।

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यह कोई पहला मौका नहीं है जब किसी स्टेशन या शहर का नाम बदला गया हो। समय-समय पर सरकारें ऐसा करती रही हैं। योगी सरकार से पहले सपा और बसपा की सरकार में भी नाम बदलने की प्रथा चलन में रही है। भाजपा नाम बदलने के पीछे विदेशी आक्रांताओं द्वारा जबरन नाम बदलने का कारण बताती है। अब आपको योगी सरकार में शहरों, बाजारों और स्टेशनों के बदले नामों से रूबरू कराते हैं। इसके साथ ही पूर्व की सरकारों में बदले गए स्थानों के नामों के बारे में बताते हैं।

  1. योगी सरकार में बदले गए स्थानों के नाम
  2. गोरखपुर का उर्दू बाजार अब हिंदू बाजार के नाम से जाना जाता है। वहीं मियां बाजार को लोग अब माया बाजार बुलाते हैं।
  3. मुगलसराय स्टेशन का नाम दीनयदयाल उपाध्याय के नाम किया गया।
  4. फैजाबाद अब अयोध्या के नाम से जाना जाता है।
  5. कानपुर का पनकी स्टेशन अब पनकी धाम के नाम से जाना जाता है।
  6. दिल्ली स्थित यूपी सदन का नाम उत्तर प्रदेश सदन त्रिवेणी रखा गया है।
  7. यूपी भवन का नाम उत्तर प्रदेश भवन संगम किया गया है।

इलाहाबाद शहर का नाम प्रयागराज किया गया। इसके साथ ही प्रयागराज के चार रेलवे स्टेशनों के नाम बदले गए। इलाहाबाद जंक्शन प्रयागराज जंक्शन। रामबाग प्रयागराज जंक्शन बना। इलाहाबाद छिवकी स्टेशन का नाम भी बदला गया। प्रयागराज घाट अब प्रयागराज संगम के नाम से जाना जाता है।

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  • नाम बदलने की प्रथा का चलन सपा और बसपा में भी रहा

योगी सरकार पर नाम बदलने को लेकर सपा और बसपा हमलवार रही है। लेकिन बसपा और सपा के कार्यकाल में भी नाम बदलने की प्रथा का चलन रहा है। मायावती ने सत्ता में आने पर कासगंज का नाम कांशीराम नगर किया। अमेठी को छत्रपतिशाहूजी नगर नाम दिया। इसी तरह कानपुर देहात को रमाबाई नगर, अमरोहा को ज्योतिबा फुले नगर, हापुड़ को पंचशील नगर, शामली को प्रबुद्धनगर, हाथरस को महामाया नगर, संभल को भीमनगर, नोएडा को गौतमबुद्धनगर और फैजाबाद जिले के एक हिस्से को अंबेडकरनगर का नाम दिया।

वहीं, अखिलेश यादव ने कांशीराम नगर को कासगंज, रमाबाई नगर को कानपुर देहात, अमेठी को गौरीगंज, ज्योतिबा फूले नगर को अमरोहा, महामाया नगर को हाथरस, प्रबुद्ध नगर को शामली और भीमनगर को फिर से बहजोई कर दिया। अखिलेश के इस फैसले का मायावती ने जमकर विरोध किया था।

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