चित्रकूट में बत्ती गुल मीटर चालू
 
                                सौरभ द्विवेदी @ चित्रकूट
सौभाग्य योजना घर-घर सौभाग्यवती बनकर पहुंची थी। इस योजना का सौभाग्यशाली मीटर एक घर की दीवार पर टंगा है। परंतु सौभाग्यवती तार ना खिंच सकी और ना ही सौभाग्यवश अंधकार प्रकाश मे तब्दील हुआ कि बिजली से घर रौशन हो जाए। ये जनपद चित्रकूट के पिछड़े होने की निशानी - कहानी है।
 
इस जनपद के ग्राम बरद्वारा निवासी ध्रुवनारायण पर प्रशासनिक लापरवाही का हिरण्यकश्यप इतना भारी पड़ा है कि ध्रुव के घर अंधेरा छाया हुआ है। उत्तर प्रदेश सरकार की चर्चित योजना सौभाग्य योजना के तहत इनके घर मीटर लगा दिया गया लेकिन तार खींचकर घर तक बिजली नहीं पहुंचाई जा सकी।
मीटर लग भर जाने से प्रत्येक महीने इनके घर बिल पहुंच जाता है। जो कि एक साल में लगभग 2095 ₹ हो चुका है। यह न्यूनतम बिजली का बिल होगा परंतु अचरज की बात है कि प्रगतिशील भारत में बिल इस तरह भेजा जा रहा है।
यह कैसी व्यवस्था है ? कैसा सिस्टम है ? जहाँ इतनी संवेदना नहीं है कि जिसके घर बिजली नहीं उसके घर बिल भेजकर उनका दर्द कोरोना की तरह बढ़ाया जाए। एक तरफ अंधकार मे रहने को मजबूर हैं तो दूसरी तरफ बिजली का बिल जेब काटने को आतुर है।
बिजली ना होने और तार ना खीचे जाने की शिकायत जब दर्ज कराई गई तो शिकायतकर्ता को एक और दर्द दिया गया।
विभाग से जवाब आया कि यह राजापुर क्षेत्र का मामला है और वहीं शिकायत दर्ज करने का कष्ट करें ! जबकि होना यह चाहिए था कि एक ही जनपद की बात होने पर मामले को राजापुर खंड मे स्थानांतरित कर दिया जाता और निस्तारण की आख्या मांग ली जाती। किन्तु पोर्टल पर शिकायत दर्ज करने से शिकायतकर्ता को अधिक परेशानी झेलनी पड़ती है और विभागीय अधिकारी अपने बचाव की आख्या लगाकर लंबे समय से सरकार की आंखो मे धूल झोंक रहे हैं।
पिछले एक साल से सिर्फ मीटर लगा है। अभी भी शिकायतकर्ता को आशा है कि उसका भाग्य खुलेगा और घर मे सिर्फ बिल नहीं बिजली भी आएगी। जो सरकार घर - घर बिजली पहुंचाने के आंकड़े प्रस्तुत करती है उसी से आशा है कि इस एक आंकड़े दुरूस्त कर ले , जिससे सरकारी आंकड़ा दुरूस्त हो जाए।
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