पूर्व मंत्री चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय के पौत्र की मौत के मामले में 15 दिन बाद सक्रिय हुई पुलिस

चित्रकूट के निवासी पुर्व लोक निर्माण राज्यमंत्री चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय के बड़े भाई श्यामलाल उपाध्याय के पौत्र राघव की..

पूर्व मंत्री चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय के पौत्र की मौत के मामले में 15 दिन बाद सक्रिय हुई पुलिस

बांदा,

चित्रकूट के निवासी पुर्व लोक निर्माण राज्यमंत्री चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय के बड़े भाई श्यामलाल उपाध्याय के पौत्र राघव की आत्महत्या के मामले में 15 दिन तक पुलिस सुस्त बनी रहे। अब जब परिवार के लोगों ने इस मामले में आंदोलन करने की चेतावनी दी तब पुलिस सक्रिय हुई और इस मामले में नामजद सात में से तीन आरोपियों को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू की है। 

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राज्य मंत्री के बड़े भाई श्यामलाल के पौत्र राघव ने 11 अप्रैल को इंटरमीडिएट के अंतिम प्रश्न पत्र की परीक्षा देकर लौटने के बाद ही देर शाम अतर्रा में संजय नगर बदौसा रोड स्थित किराए के कमरे में फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली थी। परिवार के लोग अंतिम संस्कार करने चित्रकूट जिले में पैतृक गांव चले गए थे। अंतिम संस्कार की क्रिया के दौरान पीठ पर डंडे की चोट के निशान देखकर परिजन शव लेकर अतर्रा लौट आए और पुलिस को सूचना देते हुए शव का पोस्टमार्टम कराया था। 

इसके बाद मृतक के पिता विमलेश उपाध्याय ने 16 अप्रैल को पुलिस को तहरीर दी थी। जिसमें बताया गया था कि उनका पुत्र 3 मार्च को कोचिंग पढ़ कर वापस लौट रहा था तभी रास्ते में प्रियांशु शुक्ला उर्फ विवेक, काजू गुप्ता, राहुल शिवहरे, सचिन शिवहरे, रवि शिवहरे, सौरभ गुप्ता, गुड्डू पंडित ने रोककर लाठी डंडे से मारपीट की थी। इसकी तहरीर बेटे ने पुलिस को दी थी लेकिन कार्रवाई न होने से आरोपियों ने दुबारा इंटरमीडिएट के अंतिम प्रश्न पत्र की परीक्षा देकर लौटने के दौरान मारपीट की। मारपीट के दौरान राघव बेहोश हो गया था। होश आने पर कमरे में जाकर आत्महत्या कर ली थी।

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पिता का कहना है कि बेटे की मौत के लिए पुलिस भी जिम्मेदार है। अगर 3 मार्च की घटना पर पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की होती तो उनके बेटे की मौत न होती। इस बीच पुलिस ने आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में तहरीर में दिए गए आरोपियों के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत कर लिया लेकिन किसी तरह की कार्रवाई नहीं की।

हालांकि पुलिस का दावा है कि तथ्यों को जुटाने के लिए आरोपियों समेत संदिग्धों के मोबाइल नंबर सर्विलांस में लगाए गए थे और शुरुआत में एक संदिग्ध को हिरासत में लेकर पूछताछ भी की गई थी।  धीरे-धीरे एफआईआर दर्ज होने के 15 दिन बाद भी पुलिस के हाथ कुछ नहीं आया। परिजनों ने 3 दिन के अंदर घटना का खुलासा ना होने पर आंदोलन की चेतावनी दी। तब अतर्रा पुलिस सक्रिय हुई। विवेचक पवन पांडे का कहना है कि इस मामले में आरोपियों से पूछताछ की जा रही है। बहुत जल्दी इस मामले का खुलासा कर दिया जाएगा।

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