यूक्रेन में फंसा एक छात्र घर वापस लौटा, दूसरा सुरक्षित, कहा बाहर निकलने पर सैनिक मार देते हैं गोली

जनपद बाँदा के 5 छात्र युद्ध ग्रस्त युक्रेन में फंसे हुए थे। इनमें से एक छात्र बुधवार को अपने घर वापस लौट आया हैं। घर लौटे बच्चो को अपने करीब..

यूक्रेन में फंसा एक छात्र घर वापस लौटा, दूसरा सुरक्षित, कहा बाहर निकलने पर सैनिक मार देते हैं गोली

जनपद बाँदा के 5 छात्र युद्ध ग्रस्त युक्रेन में फंसे हुए थे। इनमें से एक छात्र बुधवार को अपने घर वापस लौट आया हैं। घर लौटे बच्चो को अपने करीब पाकर मां बाप भावुक हो गए और उन्हें सीने से लगाकर प्यार दुलार किया। इस दौरान वापस लौटे छात्र ने यूक्रेन में युद्ध की भयावह तस्वीर पेश की। दूसरा छात्र पोलैंड पहुंच गया है जिसने बताया कि  अगर कोई बाहर निकलता है तो सैनिक उन्हें गोली मार देते हैं। इस समय यूक्रेन में रहना मौत को दावत देना है। 

यूक्रेन से लौटे बबेरू तहसील क्षेत्र के समगरा गांव निवासी आलोक चंद्र यूक्रेन के शहर इवानों फ्रांकीप मेडिकल कॉलेज पर 2019 में एमबीबीएस की पढ़ाई को लेकर एडमिशन करवाया था। आलोक चंद्र ने बताया कि वहां के हालात बहुत ही खराब थे,लेकिन जिस जगह में थे,वहां ज्यादा कोई दिक्कत नहीं हुई, फिर भी गोलाबारी हो रही थी,एक एयरपोर्ट को बम से उड़ा दिया गया था,तो काफी परेशान थे,लेकिन हमको ज्यादा परेशानी नही हुई। वहीं जितनी फ्लाइट थी सब कैंसिल हो गई थीं और जो थी वह बहुत ही महंगा था।

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जिससे सब कोई नहीं आ सकता था, लेकिन केंद्र सरकार के द्वारा कोशिश की गई। जिससे हम लोग सकुशल फ्लाइट के द्वारा दिल्ली आए, दिल्ली से केंद्र सरकार ने फोर व्हीलर के द्वारा हमें सकुशल घर छोड़ा गया है। इसी तरह बांदा के सेढ़ू तलैया निवासी रिटायर्ड प्रोफेसर चुन्ना सिंह और शकुंतला का बेटा हिमेंद्र सिंह 2019 में एमबीबीएस करने यूक्रेन गया था। वह तृतीय वर्ष का छात्र है। हिमेंद्र ने बुधवार को घर पर फोन कर बताया कि सोमवार को उसके छात्रावास के आसपास बमबारी शुरू हुई।

उस समय छात्रावास में 16 छात्र-छात्राएं थे। यूक्रेन में युद्ध कर रहे सैनिक नागरिकों के साथ भी नरमी नहीं बरत रहे हैं। जो भी बाहर दिखता है उसे गोली मार देते हैैं। खारकीव से निकलना मुश्किल हो गया है। सभी पैदल ही मेट्रो रेलवे स्टेशन पहुंचे। ट्रेन से स्लोवाकिया बार्डर रवाना होने वाले थे तभी यूक्रेन स्थित भारतीय दूतावास से फोन पर सूचना दी गई कि छात्रों के लिए बसों का इंतजाम कराया गया है। स्टेशन से पैदल चलकर पोलैंड बार्डर के पास खड़ी बसों तक पहुंचे। बुधवार को बसों ने सभी को पोलैंड के होटल पहुंचा दिया गया। होटल में ठहरने की व्यवस्था भारतीय दूतावास ने की है। हिमेंद्र की सलामती की खबर से परिजनों की चिंता कम हो गई है।

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