जल, जंगल, जमीन, संस्कृति एवं जनजाति को संरक्षित करने की आवशयकता-प्रो. नरेन्द्र प्रताप सिंह
कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, बांदा एवं दीनदयाल शोध संस्थान, चित्रकूट के संयुक्त तत्वाधान में बायोवर्सिटी इन्टरनेशनल...
कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, बांदा एवं दीनदयाल शोध संस्थान, चित्रकूट के संयुक्त तत्वाधान में बायोवर्सिटी इन्टरनेशनल एवं सीआईएटी द्वारा पोषित सीएफएल इन्डिया परियोजार्न्तगत जनजातीय समुदाय के पोषण एवं उत्तम स्वास्थ्य में मौसमी फलो का महत्व विषय पर एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन उद्यमिता विकास केन्द्र, दीनदयाल शोध संस्थान, चित्रकूट पर किया गया।
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परियोजना का उद्देश्य ग्रामीण इलाको में जनजातीय समुदाय के बीच फलों की उपलब्धता बढ़ा कर उनके स्वास्थ्य,पोषण, पर्यावरण सुरक्षा में वृद्वि करना हैं। प्रशिक्षण के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के कुलपति, डा. बिजेन्द्र सिंह तथा डा. नरेन्द्र प्रताप सिंह कुलपति बांदा कृषि विश्वविद्यालय, बांदा कार्यक्रम अध्यक्ष मौजूद रहे। इस मौके पर डा. बिजेन्द्र सिंह ने पोषण के लिए विविध प्रकार के फल एवं सब्जियों को खाने पर बल दिया। खट्टे फल नींबू, अमरूद, आंवला विटामिन सी से भरपूर है व रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते है।
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प्रोफेसर (डा.) नरेन्द्र प्रताप सिंह, कुलपति बांदा कृषि विश्वविद्यालय ने जल, जंगल, जमीन, संस्कृति और जनजाति को संरक्षित करने की बात रखी। उन्होंने कहा ग्राम समाज की खाली पड़ी भूमि, स्कूल, धार्मिक स्थलों पर भी फल वृक्ष लगाये जाये। दीपक खान्डेकर, अध्यक्ष जनजातीय बोर्ड ने बताया की स्थानीय फल एवं सब्जियां विलुप्त होती जा रहे हैं। जिन्हे संरक्षित करने की आवश्यकता है। उन्होने बताया कि जो सन्तरा सड़क से दूर गांव के अन्दर लगता है वो ज्यादा मीठा होता है। साथ ही स्थानीय फल तेंदू, चिरौंजी, महुआ, लगभग 100 तरह की पत्तेदार सब्जियों के बारे में भी बताया।
कार्यक्रम के आरम्भ में डा. शैलेन्द्र राजन ने परियोजना का उद्देश्य बताते हुये अवगत कराया की इस वर्ष लगभग तेरह हजार पौधों का रोपण कराया जा चुका है। बायोवर्सिटी इन्टरनेशनल की तरफ से आयी डा. सरिका ने अपने विचार रखे। तकनीकी सत्र में डा. ए. के. श्रीवास्तव प्राध्यापक फल विज्ञान विभाग, डा. आर. एस. नेगी अध्यक्ष के.वी.के. मझगंवा, सतना ने व्याख्यान दिये।