कथा व्यास ने विश्राम दिवस पर मोक्ष की सुनाई कथा
भागवत कथा के सप्ताह ज्ञान दिवस पर भागवत कथा प्रवक्ता ने कहा कि जो शेष है वही विशेष है...
बताया कि कलिकाल में कामधेनु के समान है भागवत कथा
चित्रकूट। भागवत कथा के सप्ताह ज्ञान दिवस पर भागवत कथा प्रवक्ता ने कहा कि जो शेष है वही विशेष है। शुकदेव के अंतिम प्रवचन को सुनने मात्र से संपूर्ण श्रीमद् भागवत श्रवण का परिपूर्ण फल प्राप्त होता है। इसलिए समापन कथा का प्रत्येक क्षण विशेषताओ से भरा है। कलिकाल में यह कथा कामधेनु के समान है। राजा परीक्षित को मोक्ष इसी पुराण संहिता के माध्यम से प्राप्त हुआ। पितरो की परम शांति का उपाय इससे बड़ा कुछ भी नही है। श्रीमद् भागवत के चरण शरण में जो आता है और नियम से कथा श्रवण करता है वह उसी क्षण जीवन मुक्त होकर श्रीकृष्ण के चरण सानिध्य को प्राप्त कर शुद्ध विशुद्ध अंतःकरण में भगवादव्य स्वरूप में आकर तदाकार स्वरूप को प्राप्त कर लेता है।
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यह विचार राष्ट्रीय रामायण मेला परिसर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ के विश्राम दिवस पर भागवतरत्न आचार्य नवलेश दीक्षित ने कही। उन्होंने बताया कि यह सब रानी पटरानी वेद की ऋचाएं हैं जो श्रीकृष्ण सेवा के लिए पत्नी बनकर आए। सुदामा चरित्र की लीला का भावविभोर रसपान कराते हुए कहा कि वे आत्मज्ञानी, ब्रह्म प्राप्त थे। जिन्होंने अपने जीवन में प्राप्त को ही पर्याप्त समझा है। द्वारिकानाथ एवं सुदामा की मित्रता वर्तमान में कहा देखने को मिलती है। राजा परीक्षित मोक्ष की कथा सुनाकर कथा को विश्राम दिया। इस मौके पर मुख्य यजमान विद्या देवी, बृजेश, पुष्पा, योगेन्द्र, प्रमोद, मिथलेश आदि बड़ी तादाद में श्रोतागण मौजूद रहे। आरती के पश्चात प्रसाद वितरित किया गया।
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