प्राकृतिक स्रोतों को बचाने की पहल की थी बाँदा के पूर्व डीएम हीरालाल ने, जिले को मिला नेशनल अवार्ड

बुंदेलखंड के जनपद बांदा को पानी के संकट से मुक्ति दिलाने में स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता उमा शंकर पांडे के...

प्राकृतिक स्रोतों को बचाने की पहल की थी बाँदा के पूर्व डीएम हीरालाल ने, जिले को मिला नेशनल अवार्ड
फ़ाइल फोटो

बांदा। बुंदेलखंड के जनपद बांदा को पानी के संकट से मुक्ति दिलाने में स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता उमा शंकर पांडे के अलावा पूर्व डीएम हीरालाल ने पांच साल पहले जल संरक्षण की मुहिम छेड़ी और जनता से जुड़कर पानी का महत्व बताया। हीरालाल की शुरू की गई मुहिम को  पूर्व डीएम अनुराग पटेल और दुर्गा शक्ति नागपाल ने आगे बढ़ाया। या यूं कहें कि पूर्व डीएम हीरालाल की खींची गई लकीर पर उनके बाद आए डीएम काम करते रहे। सभी ने पानी बचाने के लिए ताकत झोंकी और मिसाल बने। हीरालाल की शुरू की गई पहल के कारण ही बांदा को राष्ट्रीय जल संरक्षण पुरस्कार मिल सका।

सूखे का नाम लेते ही जहन में उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड का नाम आता है। इसी बुंदेलखंड का एक जिला है बांदा, दशकों से सूखे की मार झेल रहे बांदा में पानी के प्राकृतिक स्रोत कुआं और तालाब या तो सूख कर खत्‍म हो गए थे या फिर सूखने की कगार पर खड़े थे। इन कुओं और तालाबों को फिर से जिंदा करने के लिए वर्ष 2018 में पूर्व जिलाधिकारी हीरालाल ने एक अभियान की शुरूआत की ।

कुएं-तालाबों का पूजन और दीपदान

जिला प्रशासन ने पहले चरण में भूजल बढ़ाओ, पेयजल बचाओ अभियान के तहत छह ब्लाकों में जल चैपालों का आयोजन किया। ग्रामीणों को जल संरक्षण के प्रति जागरूक करने के बाद दूसरा चरण शुरू किया गया। इसे कुआं-तालाब जियाओ नाम दिया गया। अभियान में गांव-गांव तालाबों और कुओं का पूजन शुरू कराया गया। जिले की 471 ग्राम सभाओं में दीपदान कार्यक्रम हुआ।

जल संरक्षण की इस अनूठी पहल की गूंज प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) तक पहुंच गई। जिसके बाद जल शक्ति मंत्रालय ने इस अभियान का जायजा लिया। इस अभियान की प्रगति और परिणामों देखते हुए उन्‍हें दिल्‍ली में हैबिटैट फॉर ह्यूमैनिटी द्वारा आयोजित 7वें एशिया पैसिफिक हाउसिंग फोरम के दौरान सम्‍मानित किया गया था। समारोह के दौरान, यह विशेष रूप से उल्‍लेखित किया गया कि बांदा जिले में शुरू किया गया कुआं-तालाब जिलाओं अभियान और भूजल बढ़ाओ-पेयजल बढ़ाओ अभियान भू संरक्षण की दिशा में किए गए प्रयासों में एक सबसे बेहतरीन प्रयास है। पूर्व डीएम हीरालाल द्वारा शुरू की गई इस मुहिम के कारण ही जिले का जलस्तर बढ़ने लगा। लेकिन डेढ़ साल बाद ही उनका स्थानांतरण हो गया।

उनके स्थानांतरण के बाद आए पूर्व डीएम अनुराग पटेल ने भी जल संरक्षण की मुहिम को आगे बढ़ाया। तालाबों की खुदाई के लिए जनता और जनप्रतिनिधियों का साथ लेकर खुद भी सिर पर तसला रखकर मिट्टी ढोने का काम किया। उनके कार्यकाल में ही 15 किलोमीटर लंबी चंद्रावल नदी और मरौली झील सहित 75 तालाबों को पुनर्जीवन मिल सका। अनुराग पटेल के बाद दुर्गा शक्ति नागपाल में भी इस अभियान जारी रखा। फल स्वरुप बांदा को जल संरक्षण के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार मिला।

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