लोकसभा चुनाव के ठीक पहले, भाजपा सांसद ने एक बार फिर अलग बुंदेलखंड राज्य का मुद्दा उठाया

चुनाव के पहले हर बार की तरह इस बार भी बुंदेलखंड राज्य का मुद्दा लोकसभा में उठाया गया। इस मुद्दे को तिंदवारी हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से भाजपा के विधायक कुंवर पुष्पेंद्र सिंह चंदेल ने उठाया है। उन्होंने...

लोकसभा चुनाव के ठीक पहले, भाजपा सांसद ने एक बार फिर अलग बुंदेलखंड राज्य का मुद्दा उठाया

बांदा,

चुनाव के पहले हर बार की तरह इस बार भी बुंदेलखंड राज्य का मुद्दा लोकसभा में उठाया गया। इस मुद्दे को तिंदवारी हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से भाजपा के सांसद कुंवर पुष्पेंद्र सिंह चंदेल ने उठाया है। उन्होंने लोकसभा के दोनों कार्यकाल में अब तक पांचवीं बार इस मुद्दे को उठाया गया है। हालांकि बुंदेलखंड के यूपी एमपी में नौ सांसद हैं, लेकिन सिर्फ हमीरपुर सांसद ने इस मांग को उठाने का साहस किया है। अलग बुंदेलखंड राज्य की मांग को लेकर बरसों से विभिन्न संगठन संघर्ष कर रहे हैं लेकिन इस दिशा में अभी तक सरकार की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई।

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सांसद कुँवर पुष्पेंद्र सिंह चन्देल ने सदन में बुन्देलखण्ड राज्य की मांग उठाते हुए कहा कि केंद्र और राज्य सरकार द्वारा बुन्देलखण्ड में चहुमुखी विकास किया जा रहा है। बुन्देलखण्ड एक्सप्रेस वे,केन बेतवा रिवर लिंकिंग प्रोजेक्ट,अटल भूजल योजना,हर घर नल से जल, डिफेन्स कॉरिडोर,,गऊ पालकों को मासिक आर्थिक मदद इत्यादि अनेक ऐसे कार्य है जिससे लोगों के जीवन में खुशहाली आ रही है। परन्तु बुन्देलखण्ड को अलग राज्य बनाने की जनता की मांग आजादी से पहले से रही है और इस मांग को व्यापक जन समर्थन भी है। यह मांग प्रमुख रूप से विकास पर आधारित है। पृथक राज्य बन जाने से अन्य राज्यों की तरह बुन्देलखण्ड में भी और तेज आर्थिक विकास तो होगा ही साथ ही सांस्कृतिक विकास को पंख लग जाएंगे और देश सहित विश्व में बुंदेली संस्कृति और बोली कि धमक रहेगी और यहां ध्यान देने वाली बात है कि बुंदेली भाषा अभी तक संविधान की आठवीं सूची में शामिल नही हो पाई है।

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इसके पहले भी भाजपा सांसद कुंवर पुष्पेंद्र सिंह चंदेल 8 फरवरी 2019, 26 जुलाई 2021, 12 फरवरी 2021, 4 फरवरी 2022, 13 फरवरी 2023 और अब 8 फरवरी 2024 को यह मांग उठाई गई है। बताते चले कि उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के सात-सात जनपदों को लेकर अलग बुंदेलखंड राज्य बनाने की मांग बरसो पुरानी है। इस मांग को लेकर कई बार आंदोलन हो चुके हैं। भाजपा सांसद पुष्पेंद्र सिंह चंदेल के अलावा किसी अन्य सांसद द्वारा इस मुद्दे को उठाने का साहस नहीं किया गया। यही वजह है कि अलग राज्य की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे संगठन भी इस सांसद की प्रशंसा करते हैं।

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पिछले वर्ष बुंदेलखंड क्षेत्र से निर्वाचित 7 सांसदों का बुंदेलखंड निर्माण मोर्चा ने झांसी की पहुंज नदी में पिंडदान करके विरोध प्रकट किया था। प्रदर्शनकारी कार्यकर्ताओं का कहना था कि अपनी जन्मभूमि का इन सांसदों पर कर्ज था। बुंदेलखंड अलग राज्य निर्माण मांग नहीं करके इन सब ने अपनी जन्म भूमि से गद्दारी की है। इन्हें सांसद जैसे पद पर रहने का कोई अधिकार नहीं है, इसलिए बुंदेलखंड अलग राज्य पर मौन साधने वाले इन सांसदों को कभी भी सांसद न बनने की प्रार्थना भी की गई है। इन सांसदों में पहलाद पटेल, वीरेंद्र खटीक, भानु प्रताप सिंह वर्मा, विष्णु दत्त शर्मा, अनुराग शर्मा राजबहादुर सिंह, एवं आरके सिंह पटेल शामिल हैं। जिनका पिंडदान किया गया था।

बुंदेलखंड निर्माण मोर्चा के कार्यकर्ताओं का आरोप है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राजनाथ सिंह और उमा भारती ने 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान 3 साल के भीतर बुंदेलखंड राज्य निर्माण का वादा किया था। लेकिन अभी तक इसे पूरा नहीं किया। सांसद भी बुंदेलखंड के लोगों के साथ छल कर रहे हैं। जिस तरह से भाजपा के सांसद पुष्पेंद्र सिंह चंदेल कई बार बुंदेलखंड राज्य का मामला उठा चुके हैं, उनकी तरह अन्य सांसदों को भी हिम्मत दिखानी चाहिए थी, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। आने वाले चुनाव में जनता इन्हें जवाब देगी।
 

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