प्रकाश द्विवेदी दूसरे विधायक जिन्होंने उठाई बुंदेलखंड में चीनी मिल की माँग
उद्योग शून्य बुंदेलखंड के जनपद बांदा में चीनी मिल स्थापना की वर्षों से मांग हो रही है। जिले के नरैनी तहसील अंतर्गत अधिकांश गांवों में गन्ना की खेती होती है। यहां के मुकेरा गांव का गुड़ बुंदेलखंड के सभी...
उद्योग शून्य बुंदेलखंड के जनपद बांदा में चीनी मिल स्थापना की वर्षों से मांग हो रही है। जिले के नरैनी तहसील अंतर्गत अधिकांश गांवों में गन्ना की खेती होती है। यहां के मुकेरा गांव का गुड़ बुंदेलखंड के सभी यूपी एमपी के जनपदों में प्रसिद्ध है। यहां गन्ना का उत्पादन बहुतायत में होने के कारण ही गन्ना मिल की माँग होती आई है। सबसे पहले इसी क्षेत्र के विधायक और मंत्री रहे सुरेंद्र पाल वर्मा ने इस मांग को विधानसभा में उठाया था और अब सदर विधायक प्रकाश द्विवेदी ने इस माँग को उठाकर सार्थक पहल की है। जिसके लिए उनकी प्रशंसा की जा रही है।
किसानों को गन्ना का उचित मूल्य नही मिलता
सदर विधायक ने नियम 301 के अन्तर्गत 7 फरवरी को विधान सभा सत्र की कार्यवाही के दौरान इस मामले को उठाते हुए कहा कि बुन्देलखण्ड तथा आप पास के क्षेत्र में कही पर चीनी मिल न होने के कारण यहॉ विशेषकर बांदा, अतर्रा एवं नरैनी के किसानों को गन्ना का उचित मूल्य नहीं मिल पाता और ज्यादातर किसान गन्ने से गुड बनाकर उसे बाजार में बेचते है तथा फुटकर गन्ना बेचकर काम चलाते है। सत्र की कार्यवाही के दौरान यह भी कहा गया कि यहॉ के किसानों की वर्षाे पुरानी मॉग रही है कि एक चीनी मिल कि स्थापना हो लेकिन पूर्ववर्ती सरकारों के द्वारा किसानों की इस महत्वपूर्ण पुरानी मॉग पर कभी कोई ध्यान नहीं दिया गया। बुन्देलखण्ड में कुल 7 जनपद है यहां किसी भी जनपद में चीनी मिल नहीं है तथा गन्ना किसानों से गन्ना खरीदने की भी कोई सरकारी व्यवस्था नही है।
पहले सुरेंद्र पाल वर्मा ने भी विधानसभा में यह माँग उठाई थी
इसी माँग को लेकर नरैनी विधानसभा क्षेत्र से कई बार विधायक रहे स्व.सुरेंद्र पाल वर्मा ने भी विधानसभा में यह माँग उठाई थी। इसके बाद इस क्षेत्र का सर्वे भी कराया गया था। परंतु सर्वे में यह बात कह कर इस माँग को ठंडा बस्ते में डाल दिया कि यहां पर्याप्त गन्ने का उत्पादन नहीं होता है। हालांकि इस मांग को देखते हुए बुंदेलखंड के सभी सातों जनपदों में गन्ना उत्पादन की संभावनाओं को देखते हुए चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास विभाग उत्तर प्रदेश ने बांदा सहित सातों जनपदों को चीनी उद्योग का जनरेशन एवं आसवानी प्रोत्साहन नीति 2013 में शामिल कर लिया था। जिसमें कहा गया है कि यह जिले चीनी मिल की कमी वाले जनपदों में शामिल हैं। ऐसे उत्तर प्रदेश के 24 जनपदों को चिन्हित किया गया है।
डिप्टी सीएम के सामने भी उठी माँग
इससे पहले अन्य जन-प्रतिनिधियों ने भी इस माँग को उठाने की कोशिश की। कुछ राजनीतिक दल के लोग भी इस माँग को उठाते रहे, लेकिन किसी ने इस माँग को लेकर न तो आंदोलन किया न सरकार को इसके लिए मजबूर करने की कोशिश की। जिससे यह माँग ठंडे बस्ते में पड़ी रही। इस बीच 2018 में भाजपा के नेता अजीत गुप्ता ने भरखरी गांव में एक कार्यक्रम के दौरान तत्कालीन डिप्टी सीएम केशव मौर्य के सामने इस माँग को उठाया था, लेकिन तब भी इस पर कोई कारगर कदम नहीं उठाए गए।
सदर विधायक के प्रयास की सराहना
अब बांदा सदर विधायक प्रकाश द्विवेदी ने इस माँग को उठाकर एक बार फिर यहां चीनी मिल की आवश्यकता को रेखांकित करने की कोशिश की है। उन्होंने अपनी माँग में सरकार से बंद पड़ी कताई मील में चीनी मिल स्थापित करने की मांग की है। उनकी इस पहल का क्षेत्र की जनता स्वागत कर रही है। निश्चित ही उनका यह प्रयास सराहनीय है। अगर उनके प्रयास से यहां चीनी मिल स्थापित हो जाती है, तो जहां किसानों की आमदनी बढेगी, वहीं बेरोजगारों को रोजगार मिल सकेगा।
क्या कहते है प्रगतिशील किसान
इस बारे में प्रगतिशील किसान प्रेम सिंह का कहना है कि ‘इस इलाके में वाकई गन्ने की खेती की संभावनाएं है। खास कर नरैनी क्षेत्र में बहुत से किसान गन्ने की खेती करते हैं लेकिन गन्ने की बिक्री न होने के कारण वह किसान केवल जरूरत के मुताबिक गन्ना उत्पादन करते हैं। अगर यहां गन्ने की मिल लग गई तो ज्यादातर किसान गन्ने की खेती करेंगे। जिससे यहां के किसानों की आमदनी बढेगी।’