झांसी विधानसभा सीट - जहां सपा को जीत नसीब नही हुई
बुंदेलखंड की झांसी विधानसभा सीट पर लहर का कई बार प्रभाव पड़ा है। यहां से छह बार कांग्रेस, सात बार भाजपा व दो बार बसपा जीत..
बुंदेलखंड की झांसी विधानसभा सीट पर लहर का कई बार प्रभाव पड़ा है। यहां से छह बार कांग्रेस, सात बार भाजपा व दो बार बसपा जीत हासिल कर चुकी है। इसके अलावा जनता पार्टी, भारतीय क्रांति दल एवं निर्दलीय प्रत्याशी तक भी विजय श्री प्राप्त कर चुके हैं। लेकिन सपा को इस सीट से जीत नसीब नही हुई है।
यह भी पढ़ें - भाजपा ने अपनी 91 प्रत्याशियों की सूची जारी की, देखे कौन महारथी कहां से मैदान में
आजादी के बाद अंतरिम सरकार बनाने के लिए 1947 में विधायकों का चुनाव हुआ। तब कुंज बिहारी लाल शिवानी को चुना गया। इसके बाद 1951 के प्रथम आम विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के आत्माराम गोविंद खैर विजयी हुए। 1957 में भी वह विजयी हुए। हालांकि 1962 में निर्दलीय लखपत राम शर्मा ने, 1967 में कांग्रेस के उदय नारायण ने व 1969 में भारतीय क्रांति दल के जगमोहन वर्मा ने जीत हासिल की।
1974 में कांग्रेस के ही बाबूलाल तिवारी विजयी हुए। इसके बाद जनता पार्टी की लहर में 1977 में सूर्यमुखी शर्मा ने विजय प्राप्त की और कांग्रेस के प्रभाव को थामा। 1980 में भारतीय जनता पार्टी के राजेंद्र अग्निहोत्री ने जीत हासिल कर भगवा पार्टी को बुंदेलखंड में मजबूत किया। हालांकि कांग्रेस की इस सीट पर पुनरू वापसी 1985 में फिर हुई और ओम प्रकाश रिछारिया जीते।
यह भी पढ़ें - बीजेपी ने तिंदवारी से रामकेश निषाद को चुनाव मैदान में उतार कर सबको चौंकाया
लेकिन इसके बाद श्री राम मंदिर आंदोलन की लहर पर सवार होकर भाजपा ने मतदाताओं में अपनी जोरदार पैठ बनायी। भाजपा के रविंद्र शुक्ला ने 1989, 1991, 1993 व 1996 में जीत हासिल कर इतिहास बनाया। भाजपा की जीत के इस विजयी अभियान को बसपा के रमेश शर्मा ने 2002 में रोका और वह जीते।
वहीं, बिजली, पानी की समस्या के मुद्दे को प्रभावशाली ढंग से उठाते हुए 2007 में प्रदीप जैन आदित्य ने जीत हासिल कर कांग्रेस की वापसी करायी। लेकिन इसके बाद 2009 में बसपा के कैलाश साहू ने चुनाव जीता। हालांकि एक बार फिर भाजपा ने जोरदार वापसी की और वर्ष 2012 व 2017 में भाजपा के रवि शर्मा ने विजय प्राप्त की।
यह भी पढ़ें - यूपी चुनाव में बुंदेलखंडी भाषा में यूपी में बाबा है - यूपी में बाबा है गीत ने मचाई धूम, आप भी सुनिए