महामहिम राष्ट्रपति द्वारा प्रदत्त राष्ट्रीय पुरस्कार का सम्मान बांदा जनपद के जिलाधिकारी को भेंट
आज बांदा जनपद के लिए गर्व का दिन रहा, जब महामहिम राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किए गए राष्ट्रीय पुरस्कार में शामिल मान...
बाँदा। आज बांदा जनपद के लिए गर्व का दिन रहा, जब महामहिम राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किए गए राष्ट्रीय पुरस्कार में शामिल मान पत्र और स्मृति चिन्ह का सम्मान जिलाधिकारी नागेंद्र प्रताप जी को भेंट किया गया। पद्मश्री जल योद्धा उमाशंकर पांडे और मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) वेद प्रकाश मौर्य ने दिल्ली से आकर जिलाधिकारी के आवास पर यह सम्मान उन्हें सौंपा। इसे बांदा जिले की संपत्ति के रूप में मान्यता दी गई है, और यह स्मृति चिन्ह कलेक्ट्रेट में रहेगा, जबकि भारत सरकार के सचिव के हस्ताक्षर वाला मान पत्र जिला कार्यालय में प्रमुखता से स्थापित किया जाएगा।
जिलाधिकारी नागेंद्र प्रताप ने इस सम्मान को स्वीकार करते हुए मुख्य विकास अधिकारी को निर्देश दिए कि इस मान पत्र की एक सुंदर प्रति जिले के प्रमुख कार्यालय में लगाई जाए, ताकि बांदा की युवा पीढ़ी इससे प्रेरणा ले सके। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण के क्षेत्र में यह सम्मान पूरे जिले, समाज और सरकार के संयुक्त प्रयासों का परिणाम है।
इस सम्मान के उपलक्ष्य में विकास भवन के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों ने एक छोटा सा सम्मान समारोह आयोजित किया, जिसकी अध्यक्षता पद्मश्री उमाशंकर पांडे ने की। अपने संबोधन में उन्होंने जल की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा, “जल जीवन का आधार है, यह अनमोल और सर्वव्यापी है। जल के बिना जीवन की कल्पना भी असंभव है, और यह हमारी राष्ट्रीय संपदा है।”
मुख्य विकास अधिकारी वेद प्रकाश मौर्य ने कहा, “यह पुरस्कार बांदा जिले के सभी कर्मचारियों और नागरिकों के सहयोग का परिणाम है। हम जिलाधिकारी श्री नागेंद्र प्रताप के नेतृत्व में और भी बेहतर कार्य करने का प्रयास करेंगे। जल संरक्षण एक सामूहिक प्रयास है, और हमें इसे गंभीरता से लेना होगा।”
इस अवसर पर जिला विकास अधिकारी रमाशंकर सिंह ने कहा, “जन्म से लेकर मृत्यु तक जल हमारे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण तत्व है। भारत में जल का सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व भी है, और हमें इसे बचाने के प्रयासों को और मजबूत करना होगा।”
ग्राम प्रधान धीरेंद्र सिंह ने कहा, “जल के अत्यधिक दोहन के कारण भूजल संकट बढ़ रहा है, और इसका समाधान जल संरक्षण में ही है। हमें अपने पारंपरिक तरीकों से जल को बचाने की जरूरत है, जैसे तालाब, जलाशय, और मेड़ों के माध्यम से जल संग्रह करना।”
मनरेगा के उपयुक्त अधिकारी अजय कुमार पांडे ने कहा, “भारत में जल संरक्षण की एक प्राचीन परंपरा रही है, और हमें इसे पुनर्जीवित करने की जरूरत है। खेत का पानी खेत में रखने की तकनीक और वृक्षारोपण द्वारा जल को संरक्षित किया जा सकता है। जब जल बचेगा, तभी वृक्ष होंगे, और जब वृक्ष होंगे, तभी वर्षा होगी।”
समारोह के अंत में सभी ने इस बात पर जोर दिया कि जल संरक्षण हम सभी का कर्तव्य है और यह सम्मान बांदा की पूरी जनता और कर्मचारियों का सम्मान है।