बल का अभिमान हटते ही होती है भगवद कृपा: शास्त्री

मुख्यालय के बेेडीपुलिया स्थित केसरवानी आवास में चल रही श्रीमद भागवत कथा के चौथे दिन...

बल का अभिमान हटते ही होती है भगवद कृपा: शास्त्री

चित्रकूट। मुख्यालय के बेेडीपुलिया स्थित केसरवानी आवास में चल रही श्रीमद भागवत कथा के चौथे दिन भागवत भूषण बृजेन्द्र शास्त्री ने गजेन्द्र और ग्राह की कथा सुनाई। बताया कि जब तक मनुष्य में अपने बल और बुद्धि का भरोसा होता है तब तक भगवद कृपा नहीं होती है। गज और ग्राह दोनों ही परस्पर एक दूसरे को एक हजार वर्ष तक सरोवर में बाहर भीतर खींचते रहे। जैसे ही बल का अभिमान हटा भगवान शीघ्र ही आकर ग्राह और गजेन्द्र के ऊपर कृपा की। गजेन्द्र ने कमल पुष्प अर्पित कर अट्ठाइस श्लोकों से स्तुति वन्दन किया। जिसको गजेन्द्र मोक्ष कहते हैं। गजेन्द्र को जीव ग्राह को काल सरोवर को संसार बताया। समुद्र मंथन की कथा में बताया कि सबसे पहले समुद्र से हलाहल विष निकला। जिस विष को पार्वती जी के सम्मति से भोलेनाथ ने पान किया।

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इसके बाद बलि वामन, प्रभु श्रीराम जन्म, वनगमन, चित्रकूट की महिमा का बखान किया। श्री कृष्ण जन्म महोत्सव सुनाकर श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। बधाई भजन गाते हुए सभी झूमकर नृत्य करने लगे। कथा के पश्चात आरती प्रसाद वितरितत की गई। इस मौके पर मुख्य यजमान जुगुल किशोर केसरवानी, पत्नी ननकी केसरवानी, छोटू केसरवानी, विकास, विपिन, पंकज, पवन, दीपांशु, संतोष, विनय, कामदनाथ मुखार विन्द के संत मदन गोपाल दास, केशव शिवहरे, डॉ सीताराम गुप्ता, शशांक अग्रवाल, पंकज अग्रवाल, विवेक अग्रवाल, गुड्डा मिश्र, नगर पालिका अध्यक्ष नरेंद्र गुप्ता, जगदीश गौतम, अखिलेश पांडेय, ज्योति करवरिया, हर्षित अग्रवाल आदि श्रोतागण मौजूद रहे। 

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