गोवंश के कारण मौत को गले लगाने को, मजबूर होते हैं किसान

अन्ना को गोवंशों को संरक्षित करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गौशाला बनाकर करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। इसके...

गोवंश के कारण मौत को गले लगाने को, मजबूर होते हैं किसान

अन्ना को गोवंशों को संरक्षित करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गौशाला बनाकर करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। इसके बाद भी गोवंश छुट्टा घूम रहे हैं। जो किसानों की खड़ी फसल को चर जाते हैं। जिससे किसान परेशान होकर आत्महत्या जैसे आत्मघाती कदम उठाने को मजबूर होते हैं। यह बात पैलानी तहसील के ग्राम गुगोली निवासी पूर्व बीडीसी रामपाल प्रजापति ने कहा है। 

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 उनका कहना है कि सरकार गौशाला बनाकर अन्ना गोवंशों को संरक्षित करने का प्रयास कर रही है। जबकि ग्राम प्रधान की लापरवाही से छुट्टा जानवर किसानों की खेतों में खड़ी फसल को चट कर जाते हैं। उन्होंने कहा कि मेरे गांव में लगभग डेढ़ हजार अन्ना गोवंश खुलेआम घूम रहे हैं। इन्हें गौशाला में बंद करने के लिए ग्राम प्रधान, वीडीओ और ब्लॉक प्रमुख के पास जाकर मैंने अपनी गुहार लगाई लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया। नतीजतन खेतों में खड़ी फसल गोवंश चर गए।

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उन्होंने कहा कि हम लोग कड़ी मेहनत करके सांप बिच्छू विषखापर की परवाह न करके खेतों में फसल उगाते हैं। जिन्हें गोवंश चर जाते हैं। तब हमारी सारी मेहनत बेकार चली जाती है। यहां तक की फसल उगाने के लिए खाद बीज आदि का इंतजाम किया जाता है। इसके लिए हमें कर्ज लेना पड़ता है। ऐसे में अगर गोवंश फसल नष्ट कर देते हैं तो हमारे सामने आत्महत्या के सिवा कोई रास्ता नहीं बचता है। हमारे इस कदम से बच्चों का जीवन भी बर्बाद होता है। इसी तरह पूर्व ग्राम प्रधान बंबिया जगन्नाथ प्रजापति ने कहां कि हमारे गांव में 1,000 से अधिक गोवंश छुट्टा रहे हैं। 

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अपनी फसल बचाने के लिए हम लोग रात रात भर जागते हैं। इसके बाद भी गोवंश हमारी फसल को चर जाते हैं। जिससे हमारी पूरी मेहनत बर्बाद हो जाती है। इस बारे में ग्राम प्रधान को भी अवगत कराया गया लेकिन प्रधान ने छुट्टा घूम रहे गोवंशों को बंद कराने की कोशिश नहीं की। उन्होंने कहा कि इन सारी समस्याओं को लेकर हमने जिला अधिकारी को संबोधित एक पत्र दिया है। जिसमें मांग की है की अन्ना पशुओं की रोकथाम के लिए कदम उठाए जाएं। जो अन्ना जानवर घूम रहे हैं उन्हें पकड़ कर गौशाला में बंद किया जाए ताकि किसानों की फसल न बर्बाद होने पाए।

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