ब्रह्मा जी और सरस्वती जी के बारे में फैली भ्रांतियों का पर्दाफाश

हिंदू धर्म के पौराणिक ग्रंथों और कथाओं में सृजनकर्ता ब्रह्मा जी का महत्वपूर्ण स्थान है, लेकिन एक विवादित धारणा ने उन्हें प्रमुखता...

ब्रह्मा जी और सरस्वती जी के बारे में फैली भ्रांतियों का पर्दाफाश

सचिन चतुर्वेदी...

हिंदू धर्म के पौराणिक ग्रंथों और कथाओं में सृजनकर्ता ब्रह्मा जी का महत्वपूर्ण स्थान है, लेकिन एक विवादित धारणा ने उन्हें प्रमुखता से दूर कर दिया है। कहा जाता है कि ब्रह्मा जी ने अपनी ही पुत्री सरस्वती से विवाह किया, जिसके चलते उनकी पूजा नहीं की जाती। लेकिन क्या यह वास्तव में सच है? आइए, इस भ्रांति का पर्दा हटाते हैं और असली तथ्यों को उजागर करते हैं।

ब्रह्मा जी और सरस्वती जी: एक प्रतीकात्मक कथा

पुराणों में ब्रह्मा जी और सरस्वती जी के संबंध को लेकर कई संदर्भ मिलते हैं, जिनका गहराई से अध्ययन किया जाना आवश्यक है। श्रीमद्भागवत (3/12/28), एतरेय ब्राह्मण, और अथर्ववेद जैसे शास्त्रों में आई कहानियों को अक्सर गलत तरीके से समझा गया है। इन श्लोकों में प्रजापति शब्द का प्रयोग हुआ है, जिसे ब्रह्मा जी के साथ जोड़ा जाता है। लेकिन वैदिक काल में प्रजापति का अर्थ केवल "सृष्टिकर्ता" या "राजा" होता था।

शास्त्रों के अनुसार, सरस्वती का जन्म ब्रह्मा जी के मुख से हुआ था, जो ज्ञान और विद्या की प्रतीक मानी जाती हैं। लेकिन यह कथा केवल प्रतीकात्मक है, जो सृजन और विद्या की महत्ता को दर्शाती है। इसे शाब्दिक रूप से नहीं लेना चाहिए।

सरस्वती: ब्रह्मा जी की पुत्री या पत्नी?

पुराणों में दो सरस्वती का उल्लेख मिलता है। एक हैं अपरा विद्या की देवी, जो ब्रह्मा जी की पत्नी थीं, और दूसरी ब्रह्मा जी की पुत्री सरस्वती, जिनका विवाह भगवान विष्णु से हुआ था। यह भ्रमित करने वाली जानकारी मध्यकाल में आई, जब सरस्वती के दोनों रूपों को एक ही मान लिया गया।

श्रीभागवतानंद गुरुजी के अनुसार, "सरस्वती" शब्द ज्ञान और विद्या की अधिष्ठात्री शक्ति को दर्शाता है, और इसके दो रूप हैं—अपरा और परा विद्या। अपरा विद्या ब्रह्मा जी से उत्पन्न हुई, जबकि परा विद्या, ब्रह्म (ईश्वर) से उत्पन्न मानी जाती है। इसलिए, ब्रह्मा जी की पत्नी सरस्वती परा विद्या की देवी हैं, और उनकी पुत्री का विष्णु जी से विवाह हुआ था।

पूजा न किए जाने का असली कारण

यह धारणा कि ब्रह्मा जी की पूजा इसलिए नहीं होती क्योंकि उन्होंने अपनी पुत्री से विवाह किया था, पूरी तरह गलत है। असल में, ब्रह्मा जी की पूजा न किए जाने का कारण उनके द्वारा सत्य छिपाने और सावित्री के शाप से जुड़ा है। पुष्कर में यज्ञ के दौरान, जब सावित्री उपस्थित नहीं थीं, ब्रह्मा जी ने गायत्री से विवाह कर यज्ञ संपन्न किया। इससे क्रोधित होकर सावित्री ने उन्हें शाप दिया कि उनकी पूजा नहीं की जाएगी।

यह घटना सरस्वती से संबंधित नहीं है, लेकिन समय के साथ दोनों घटनाओं को एक-दूसरे से जोड़कर गलत धारणा बना दी गई।

पुराणों में छेड़छाड़ और भ्रम

मध्यकाल और अंग्रेजी शासन के दौरान कई ग्रंथों के साथ छेड़छाड़ हुई, और इसके परिणामस्वरूप पुराणों की कुछ कहानियों में गलतफहमी पैदा हुई। मत्स्य पुराण और सरस्वती पुराण में सरस्वती के जन्म और ब्रह्मा जी से उनके विवाह का उल्लेख है, लेकिन इन्हें प्रतीकात्मक रूप से समझा जाना चाहिए।

यह भ्रमित करने वाला प्रसंग सृष्टि के पहले मानव "मनु" की उत्पत्ति से जुड़ा है, लेकिन सरस्वती के दो अलग-अलग रूपों को मिलाने से यह विवाद बढ़ गया।

सही जानकारी का प्रसार करें

आज हमें यह समझने की जरूरत है कि ब्रह्मा जी और सरस्वती जी से जुड़े प्रतीकात्मक कथानक को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया है। यह कथाएं सृजन, ज्ञान और विद्या के महत्व को दर्शाती हैं, न कि इनका शाब्दिक अर्थ निकाला जाना चाहिए। ब्रह्मा जी की पूजा न किए जाने का कारण उनकी पुत्री से विवाह नहीं, बल्कि सावित्री के शाप और सत्य छिपाने की घटनाओं से जुड़ा है।

आइए, हम मिलकर समाज में फैली इन भ्रांतियों को दूर करें और सही जानकारी का प्रसार करें।

  • Sarvendra Kumar
    Sarvendra Kumar
    Very nice
    9 days ago Reply 0

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