एकादशी व्रत से अकाल मृत्यु नही हो सकती : नवलेश दीक्षित

मानिकपुर मुख्यालय में चल रही भागवत कथा के छठवें दिन आचार्य नवलेश दीक्षित ने एकादशी के व्रत का वर्णन करते...

एकादशी व्रत से अकाल मृत्यु नही हो सकती : नवलेश दीक्षित

बताया कि नित्य दीपदान से जीवन की दरिद्रता, पाप नष्ट हो जाते है
  
चित्रकूट। मानिकपुर मुख्यालय में चल रही भागवत कथा के छठवें दिन आचार्य नवलेश दीक्षित ने एकादशी के व्रत का वर्णन करते हुए कहा की संसार मे अनेको व्रत है। सबकी महिमा है। लेकिन एकादशी व्रत नही महाव्रत है। हर एक परिवार मे कम से कम एक व्यक्ति को एकादशी व्रत रहना चाहिए। इस व्रत का फल यह है की अकाल मृत्यु नही हो सकती। जीव सभी पापो से मुक्त हो कर श्री हरि का प्रिय हो जाता है। भरत जैसा भाई, गंगा जी जैसा तीर्थ, भीष्म जैसा पूत, भागीरथ जैसा सपूत, राम नाम जैसा महामंत्र एवं एकादशी जैसा महाव्रत बड़ा ही दुर्लभ होता है। तुलसी भगवान श्री हरि की पटरानी है। तुलसी भगवान श्री हरि को बहुत प्रिय है। श्री नारायण हरि कभी भी बिना तुलसी के पूजन भोग स्वीकार करते है। नित्य दीपदान से हमारे जीवन की दरिद्रता, पाप नष्ट हो जाते है। जीव यम के भय से मुक्त हो जाता है। तत्पश्चात कथा व्यास ने सुंदर झांकियों के साथ कथा का विस्तार से वर्णन किया। कथा सुनकर श्रोता मंत्रमुग्ध होकर नाचने लगे। आरती पश्चात प्रसाद का वितरण किया गया। इस मौके पर यजमान साहित सैकड़ो की संख्या मे श्रोतागण मौजूद रहे।

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