बांदा। दिल्ली के बुराड़ी इलाके में सोमवार को गिरी पांच मंजिला इमारत के मलबे में फंसे एक परिवार ने 32 घंटे तक मौत से संघर्ष किया और आखिरकार जिंदा बाहर निकल आया। इस हादसे में जहां पांच लोगों की मौत हो गई और 22 लोगों को बचाया गया, वहीं बांदा जिले का यह परिवार हिम्मत और जज्बे की मिसाल बन गया।
राजेश, उनकी पत्नी गंगोत्री, 6 साल का प्रिंस और 2 साल का ऋतिक इस हादसे के समय अपने घर में मौजूद थे। जब इमारत गिरी, तो छत का एक हिस्सा रसोई में रखे गैस सिलेंडर पर अटक गया, जिससे मलबे में दो फुट की खाली जगह बन गई। इसी जगह में पूरे परिवार ने 32 घंटे तक खुद को जिंदा रखा।
राजेश ने बताया कि हादसे के बाद उनका हौसला टूट गया था, लेकिन अपने बच्चों और पत्नी को देखकर उन्होंने हिम्मत जुटाई। परिवार को जिंदा रखने के लिए उन्होंने बची-खुची टमाटर और मूंगफली खिलाई। चारों लोग डर के साये में घिरे रहे, लेकिन एक-दूसरे का हौसला बनाए रखा।
रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान जब जेसीबी क्रेन उनके ऊपर से गुजर रही थी, तब मलबे के अंदर से उनकी आवाज बाहर तक नहीं पहुंच पा रही थी। आखिरकार, राजेश ने एक पाइप के जरिए एनडीआरएफ की टीम को अपनी मौजूदगी का संकेत दिया। इसके बाद टीम ने सावधानीपूर्वक मलबा हटाकर पूरे परिवार को सुरक्षित बाहर निकाला।
राजेश को मामूली चोटें आई हैं, जबकि उनकी पत्नी गंगोत्री के पैर में फ्रैक्चर हो गया, जिसके चलते उन्हें ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया गया है। परिवार मूल रूप से उत्तर प्रदेश के बांदा जिले का रहने वाला है और चार महीने पहले ही दिल्ली में काम की तलाश में आया था।
इस दर्दनाक हादसे में अब तक 22 लोगों को रेस्क्यू किया जा चुका है, जबकि पांच लोगों की मौत हो गई। अधिकारियों के मुताबिक, इमारत का निर्माण हाल ही में हुआ था, लेकिन उसमें गंभीर निर्माण खामियां थीं, जिसके चलते यह हादसा हुआ।
"हमारे लिए यह किसी चमत्कार से कम नहीं था। भगवान ने हमारी जान बचा ली," - यह कहते हुए राजेश ने अपने परिवार को कसकर पकड़ लिया। इस घटना ने साबित कर दिया कि संकट कितना भी बड़ा क्यों न हो, हिम्मत और विश्वास के सहारे जिंदगी की जंग जीती जा सकती है।