गायत्री महायज्ञ के तीसरे दिन दीप महायज्ञ से जगमगाया पांडाल, नवयुग की ओर बढ़ते कदम
गायत्री परिवार के तत्वावधान में चल रहे गायत्री महायज्ञ के तीसरे दिन का आयोजन श्रद्धा, भक्ति और...

बांदा, तिंदवारी रोड। गायत्री परिवार के तत्वावधान में चल रहे गायत्री महायज्ञ के तीसरे दिन का आयोजन श्रद्धा, भक्ति और दिव्यता के बीच सम्पन्न हुआ। 51 कुण्डीय यज्ञशाला में हुए गायत्री यज्ञ और यज्ञोपवीत संस्कार ने समूचे वातावरण को आध्यात्मिक ऊर्जा से सराबोर कर दिया। बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने यज्ञ में भाग लिया, दीक्षा ग्रहण की, और अन्य वैदिक संस्कारों में सहभागी बनकर सनातन संस्कृति की परंपरा को पुनर्जीवित किया।
दीप महायज्ञ से चमका वातावरण
सायंकालीन सत्र में आयोजित दीप महायज्ञ ने समूचे पांडाल को अद्वितीय छटा से भर दिया। हजारों दीपों की प्रकाशमाला ने आयोजन स्थल को अलौकिक आभा प्रदान की, मानो दिव्यता स्वयं धरती पर उतर आई हो। दीपों की रोशनी के बीच श्रद्धा, संकल्प और शांति की त्रिवेणी प्रवाहित होती प्रतीत हुई।
"नवयुग आ रहा है" – टोलीनायक सुरेन्द्र वर्मा जी
इस अवसर पर टोलीनायक सुरेन्द्र वर्मा जी ने उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा:
"धरती पर नवयुग आ रहा है, इसमें कोई संदेह नहीं। जैसे दीपक बुझने से पहले तेज जलता है, आज की समस्याएं भी वैसे ही तीव्र प्रतीत हो रही हैं। युगऋषि पं. श्रीराम शर्मा आचार्य का स्पष्ट आश्वासन है कि यह अंधकार समाप्त होगा, भारत का अभ्युदय सुनिश्चित है, और वह विश्व की महाशक्ति बनेगा।"
उन्होंने कहा कि गायत्री परिवार बीते एक सदी से इसी उद्देश्य को लेकर सतत कार्यरत है — बिना किसी स्वार्थ, राजनीति या पद-प्राप्ति की भावना के, केवल मानवता के कल्याण और सनातन धर्म की पुनर्स्थापना के लिए।
"हर यज्ञ, हर संस्कार, हर दीपोत्सव केवल इसी दिव्य उद्देश्य की ओर एक पवित्र कदम है।"
पूर्णाहुति और युग साहित्य स्थापना के साथ समापन
20 अप्रैल को महायज्ञ का पूर्णाहुति समारोह प्रातः आयोजित किया गया, जिसमें विशेष रूप से बांदा जेल में युग साहित्य की स्थापना की गई। इसका उद्देश्य जेल में बंद बंदियों को जीवन परिवर्तन की प्रेरणा देना है ताकि वे आत्मसुधार की राह पर आगे बढ़ सकें।
विशिष्ट अतिथियों की गरिमामयी उपस्थिति
इस भव्य आयोजन में कई विशिष्ट अतिथियों ने अपनी उपस्थिति से कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई, जिनमें शामिल रहे:
वरिष्ठ IPS श्री जुगुल किशोर तिवारी (DIG, लखनऊ), डॉ. रामनारायण त्रिपाठी, संचालक, गायत्री शक्तिपीठ, चित्रकूट
प्रेमलाल कुशवाहा, भोपाल, तथा स्थानीय गायत्री परिजन एवं श्रद्धालुजन ।
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