बांदा : रिश्वत नहीं मिली तो लेखपाल ने किसान की सत्यापन रिपोर्ट गलत दर्ज कर दी

बुंदेलखंड के जनपद  बांदा में किसान जहां एक ओर दैवी आपदाओं से परेशान होकर कर्जदार बन जाते हैं और कर्ज न चुकाने पर आत्महत्या को मजबूर हो जाते हैं..

बांदा : रिश्वत नहीं मिली तो लेखपाल ने किसान की सत्यापन रिपोर्ट गलत दर्ज कर दी

बुंदेलखंड के जनपद  बांदा में किसान जहां एक ओर दैवी आपदाओं से परेशान होकर कर्जदार बन जाते हैं और कर्ज न चुकाने पर आत्महत्या को मजबूर हो जाते हैं वही सरकारी तंत्र के उत्पीड़न से भी किसान जान गंवा बैठता है, ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आया है। एक किसान ने रिश्वत की रकम नही दी तो लेखपाल ने किसान की सत्यापन रिपोर्ट गलत दर्ज कर दी। जिससे किसान के सामने भुखमरी की समस्या उत्पन्न हो सकती है।

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जनपद के बबेरू तहसील अंतर्गत ग्राम मुरवाल निवासी जगदीश त्रिपाठी ने बताया कि उसने गाटा संख्या 2820 के श्रेणी एक (क) में 4.78 हेक्टेयर में धान की खेती की है।

मैंने धान बेचने के लिए शासन के अनुरूप 22 अगस्त 2020 को ऑनलाइन बिक्री हेतु पंजीयन कराया था और माह सितंबर 2020 के प्रथम सप्ताह में हल्का लेखपाल द्वारा मुझसे बिक्री सत्यापन में रिपोर्ट लगवाने के एवज में 5000 रूपये की मांग की गई थी मैंने तब उसे बताया था कि बुंदेलखंड में गरीबी और परिस्थितियों के कारण किसान किस तरह से अपना गुजर-बसर कर रहा है, ऐसे में इतनी बड़ी रकम दे पाना संभव नहीं है।

इस पर लेखपाल द्वारा कहा गया कि यह उगाही का पैसा मुझे एसडीएम साहब के माध्यम से शासन तक भेजना पड़ता है। यदि तुम पैसा नहीं दोगे तो तुम्हारा धान खेत में ही पड़े पड़े सड जाएगा और तुम्हारा संपूर्ण परिवार तड़प तड़प कर मर जाऐगा।

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भुक्तभोगी ने बताया कि मुझे मालूम है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बहुत ही ईमानदार हैं। उनके कार्यकाल में भ्रष्टाचार हो ही नहीं सकता है। लेखपाल द्वारा सिर्फ धमकी दी जा रही है, यह सोच कर मैंने उसकी बातों पर तवज्जो नहीं दिया। लेकिन इधर 8 नवंबर 2020 को ऑनलाइन सत्यापन का प्रिंट आउट निकलवाया और प्रिंट आउट में पाया कि हल्का लेखपाल द्वारा मेरे गाटा संख्या 2820 के क्षेत्रफल में 4.78 हेक्टेयर में लगे धान को निरस्त लिख दिया है। लेखपाल के मुताबिक मेरे खेत में धान लगा ही नहीं था ऐसे में मैं धान कैसे बेच पाऊंगा।

जगदीश त्रिपाठी ने इस मामले में उच्च अधिकारियों को भेजे पत्र में उक्त प्रकरण की उच्च स्तरीय स्थलीय जांच करा कर धान की बिक्री विषयक आईडी नंबर के पंजीयन पर ही धान की खरीद कराने की मांग की ताकि समय रहते अपने खेत की जुताई करके पुनः गेहूं की फसल ले सकें यदि जांच कार्रवाई में विलंब किया गया तो गेहूं की फसल भी नहीं लगा पाऊंगा।

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