दीपावली में वायु प्रदूषण व नमी से जहरीला धुआं बन सकता है काल
कोविड-19 के दौर में पड़ने वाले त्योहारों को लेकर लोगों को सुरक्षित बनाने का हरसंभव प्रयास सरकार और स्वास्थ्य विभाग कर रहे हैं..
सांस से फेफड़ों तक पहुंचेगा संक्रमण, बढ़ेंगी बीमारियां
कोविड-19 के दौर में पड़ने वाले त्योहारों को लेकर लोगों को सुरक्षित बनाने का हरसंभव प्रयास सरकार और स्वास्थ्य विभाग कर रहे हैं। दीपावली पर पटाखे जलाने की सदियों पुरानी परंपरा को इस बार नजरंदाज करके ही समुदाय को सेहतमंद बनाने में अहम् भूमिका निभा सकते हैं। इस समय वायु प्रदूषण और नमी की जद में प्रदेश के अधिकतर जिले हैं, ऐसे में पटाखे का जहरीला धुआं उड़कर ऊपर न जाकर नीचे हमारे इर्द-गिर्द ही रहकर सांस के जरिए फेफड़ों को प्रभावित कर सकता है।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने लखनऊ समेत प्रदेश के 13 अधिक प्रदूषण वाले जिलों में पटाखे जलाने पर रोक लगा रखी है।
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जिला क्षय रोग अधिकारी डा. एमसी पाल का कहना है कि दीपावली पर चन्द सेकेंड के धमाकों व तेज रोशनी के लिए की जाने वाली आतिशबाजी से निकलने वाले जहरीले धुंएं में कई तरह के खतरनाक रासायनिक तत्व मौजूद होते है, जो पर्यावरण को प्रदूषित करने के साथ ही शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं। इसके धुएं में मौजूद कैडमियम फेफड़ों में आक्सीजन की मात्रा को कम करता है।
इसके अलावा इसमें मौजूद सल्फर, कॉपर, बेरियम, लेड, अल्युमिनियम व कार्बन डाईआक्साइड आदि सीधे फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं । कोरोना ने सांस की तकलीफ वालों को ज्यादा प्रभावित किया है, इसलिए पटाखे का धुआं श्वसन तंत्र को प्रभावित कर कोरोना की गिरफ्त में न ले जाने पाए, उसके लिए इस बार पटाखे से दूर रहें ।
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डा. पाल का कहना है कि पटाखों से निकलने वाला धुआं वातावरण में नमी के चलते बहुत ऊपर नहीं जा पाता है, जिससे हमारे इर्द-गिर्द रहकर सांस लेने में परेशानी, खांसी आदि की समस्या पैदा करता है। दमे के रोगियों की शिकायत भी बढ़ जाती है। धुंए के कणों के सांस मार्ग और फेफड़ों में पहुंच जाने पर ब्रानकाइटिस और सीओपीडी की समस्या बढ़ सकती है। यह धुआं सबसे अधिक त्वचा को प्रभावित करता है, जिससे एलर्जी, खुजली, दाने आदि निकल सकते हैं।
पटाखे की चिंगारी से त्वचा जल सकती है। पटाखों से निकलने वाली तेज रोशनी आंखों को भी नुकसान पहुंचाती है। इससे आंखों में खुजली व दर्द हो सकता है, आंखें लाल हो सकती हैं और आंसू निकल सकते हैं। चिंगारी आंखों में जाने से आंखों की रोशनी भी जा सकती है। पटाखों का तेज धमाका कानों पर भी असर डालता है। इससे कम सुनाई पड़ना या बहरापन की भी दिक्कत पैदा हो सकती है।