कृष्ण और सुदामा जैसी होनी चाहिए मित्रता : अनुराग शास्त्री

श्रीमद्भागवत कथा के विश्राम दिवस पर सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए आचार्य अनुराग शास्त्री महाराज ने कहा कि मित्रता कृष्ण...

Nov 1, 2025 - 11:46
Nov 1, 2025 - 11:47
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कृष्ण और सुदामा जैसी होनी चाहिए मित्रता : अनुराग शास्त्री

कहा कि मित्र वही जो मित्र के दुख मे दुखी और सुख मे सुखी होता है

चित्रकूट। श्रीमद्भागवत कथा के विश्राम दिवस पर सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए आचार्य अनुराग शास्त्री महाराज ने कहा कि मित्रता कृष्ण और सुदामा जैसी होनी चाहिए। यह संसार बड़ा ही स्वार्थी है। जब तक व्यक्ति का स्वार्थ निकलेगा, तब तक वह आपका सम्मान करेगा। इसके बाद ठोकर मार कर अलग कर देगा। जब ईश्वर को हम अपना लेते है तो वह हमे माला माल कर देता है। इसलिए जग के पीछे नही जगदीश के पीछे भागना चाहिए। वह महान है। मांगना उसी से चाहिये जो प्रसन्नता से दे सके। वही तो सब से बड़ा दाता है। हम तो केवल भिक्षुक हैं। भिक्षुक से क्या उम्मीद करनी है। मुख्यालय के बल्दाऊगंज मोहल्ले मे चल रही भगवत कथा के विश्राम दिवस के अवसर पर आचार्य अनुराग शास्त्री महाराज ने सुदामा चरित्र का मार्मिक प्रसंग करते हुए कहा कि आज वर्तमान मे सच्चे मित्र का बड़ा ही आभाव है। मित्र वही होता है। जो मित्र के दुख मे दुखी और सुख मे सुखी होता है। धन्य है श्री कृष्ण जो एक निर्धन दीन दुखी ब्राम्हण को गले से लगा कर दो मुट्ठी चावल खा कर दो लोक की संपत्ति दान कर दिया। यही तो परमात्मा की उदारता का परिचय है। कहा कि अमावस्या के दिन ही गोस्वामी तुलसीदास जी को चित्रकूट के रामघाट मे श्री राम राधव का दर्शन हुआ था। इसलिए अमावस्या को परिक्रमा करने की महिमा है। इसलिए लक्ष्मी जी के साथ नारायण का वंदन करना चाहिए। कहा कि कल एकादशी है। एकादशी व्रत नही महाव्रत है। हर एक परिवार मे कम से कम एक व्यक्ति को एकादशी व्रत रहना चाहिए। सनातन धर्मावलंबियों को वर्ष में एक उत्सव जरूर मनाना चाहिए। आरती पश्चात प्रसाद का वितरण किया गया। इस मौके पर कृष्ण कुमार श्रीवास्तव, कंचन लता श्रीवास्तव, अखिलेश श्रीवास्तव, उमेश कुमार श्रीवास्तव, आदित्य कुमार श्रीवास्तव, अरुण कुमार श्रीवास्तव, ललित श्रीवास्तव, मनोज श्रीवास्तव, मान्या श्रीवास्तव, दिव्य श्रीवास्तव, व्यापारी नेता लक्ष्मी केसरवानी, छोटू बड़गइयां, सोनू गुप्ता, मुख्य यजमान राम आसरे श्रीवास्तव, सावित्री श्रीवास्तव सहित सैकड़ो की संख्या मे श्रोतागण मौजूद रहे। 

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