52वें राष्ट्रीय रामायण मेले का हुआ भव्य शुभारंभ

भगवान श्रीराम की तपोस्थली चित्रकूट के डा राममनोहर लोहिया प्रेक्षागृह के भव्य मंच में 52वें राष्ट्रीय रामायण मेला का...

52वें राष्ट्रीय रामायण मेले का हुआ भव्य शुभारंभ

संत-मनीषियों व मानस मर्मज्ञो ने प्रभु श्रीराम के जीवन पर दिए व्याख्यान

कष्ट के समय ईष्ट का ध्यान करने से मिलती है शांति: मंत्री

संत-महंतो ने निशानों के साथ निकाली शोभायात्रा

चित्रकूट। भगवान श्रीराम की तपोस्थली चित्रकूट के डा राममनोहर लोहिया प्रेक्षागृह के भव्य मंच में 52वें राष्ट्रीय रामायण मेला का शुभारंभ मप्र सरकार के मंत्री प्रतिमा बागड़ी और जगदगुरु स्वामी डा बालगोविन्दाचार्य महाराज पीठाधीश्वर परम्बाधाम जबलपुर के साथ चित्रकूट के प्रमुख अखाड़ों के महंतो और रामायण मेला आयोजन समिति के सदस्यों ने दीप प्रज्जवलन किया। उद्घाटन अवसर पर भारत सरकार द्वारा पदमश्री सम्मान से सम्मानित सदगुरु सेवा संघ ट्रस्ट के निदेशक डा बीके जैन व उमाशंकर पांडेय विशेष रूप से उपस्थित रहे।

इसके पूर्व मंदाकिनी तट रामघाट से चित्रकूटधाम परिक्षेत्र के अखाड़ों के संतो-महंत निशानों सहित हाथी, घोड़े, बैंडबाजो के साथ निकाली गई शोभायात्रा रामायण मेला भवन पहुंची। राष्ट्रीय रामायण मेले के कार्यकारी अध्यक्ष प्रशांत करवरिया ने मेले के संरक्षक व पूर्व सांसद भैरो प्रसाद मिश्र के साथ साधु-संतो का माल्यार्पण कर स्वागत किया। रामायण मेले के उदघाटन सत्र में बांदा से आए ख्यातिलब्ध साहित्यकार डा चन्द्रिका प्रसाद दीक्षित ललित ने संचालन का दायित्व संभाला। इस सत्र में मेले के महामंत्री डा करुणा शंकर द्विवेदी ने प्रख्यात चिंतक डा राममनोहर लोहिया द्वारा रामायण मेला की परिकल्पना के प्रमुख तथ्यों को बताते हुए रामायण मेले की पूरी योजना को सभी के समक्ष प्रस्तुत किया। 

महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के संगीत विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डा लल्लूराम शुक्ल ने अपने साथी कलाकारों के साथ गणेष वंदना प्रस्तुत की। मुख्य अतिथि मप्र शासन की मंत्री प्रतिमा बागड़ी ने अपना उदबोधन भगवान श्रीराम की वंदना से शुरू किया। उन्होंने कहा कि यहां पर जितने भी लोग है सबके जीवन में कोई न कोई कष्ट है। भगवान श्रीराम के जीवन में भी बहुत कष्ट आए लेकिन जब मनुष्य कष्ट के समय अपने ईष्ट का ध्यान करता है तो उसे सुख की अनुभूति होती है। शाति की अनुभूति होती है और ईष्ट की आराधना से ही हम अपने दुखो और कष्टो से मुक्ति पा सकते हैं। उन्होंने चित्रकूट में पांच दशको से लगातार आयोजित हो रहे रामायण मेले के आयोजको को साधुवाद देते हुए कहा कि भगवान श्रीराम की तपोभूमि में लगातार हो रहे इस आयोजन के पीछे मेले के आयोजको की जीतोड मेहनत और लगन परिलक्षित होती है। मंत्री ने सभी को महाशिवरात्रि के पर्व की शुभकामनाएं दी। 

मेले के शुभारंभ सत्र की अध्यक्षता कर रहे जबलपुर से पधारे जगदगुरु स्वामी बालगोविन्दाचार्य महाराज ने कहा कि राम का अयन यानि राम का घर तो रामायण ही राम का घर है। जहां रामायण वहीं राम हैं। चित्रकूट में आयोजित होने वाला रामायण मेला वास्तव में राम का ही घर है। यहां जो लोग भी लगातार पांच दिनो तक कथा प्रवक्ताओं के मुख से रामचरित को सुनते है लोक कलाकारों के द्वारा प्रस्तुत की जाने वाली राम की लीलाओ को देखते हैं उन्हे राम और रामायण को लेकर कोई संशय नहीं रह जाता।

विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद सदगुरु सेवा संघ ट्रस्ट के निदेशक डा बीके जैन ने कहा कि मै बहु सौभाग्यशाली हूं क्योंकि मुझे हर एक रामायण मेले में उपस्थित रहने का मौका मिला है। रामायण मेले के आयोजन के पीछे आज भी कहीं न कहीं स्व गोपाल कृष्ण करवरिया की ऊर्जा काम कर रही है क्योंकि अक्सर यह देखने में आता है कि किसी भी आयोजन के मुखिया के जाने के बाद धीरे-धीरे व्यवस्थाएं शिथिल होती जाती हैं लेकिन चित्रकूट का यह रामायण मेला उत्तरोत्तर प्रगति की ओर अग्रसित है। आज करवरिया जी की तीसरी पीढ़ी इसका नेतृत्व कर रही है। निश्चित रूप से इस परिवार के ऊपर भगवान राम की विशेष कृपा है। 

रामायण मेले के उद्घााटन सत्र में संतोषी अखाड़ा के महंत रामजी दास महाराज ने एक विशेष रहस्य उदघटित करते हुए चित्रकूट की एक घटना का उल्लेख किया कि किसी विशेष व्यक्ति के आगमन पर उसकी अगुवानी कैसे की जाती है यह चित्रकूट के उन वनवासियों ने बताया कि जिनके पास न तो तन ढकने के लिए ठीक से कपउे हुआ करते थे और न ही पेट भरने के लिए अन्न। रामचरित मानस की चौपाई का उल्लेख कर उन्होंने अपनी बात को प्रमाणित किया ‘कंद मूल फल भरि भरि दोना, चले रंक लूटन जनु सोना’। कामदगिरि प्रमुख द्वार के व्यवस्थापक संत मदन गोपाल दास ने चित्रकूट के पौराणिक महत्व को परिभाषित करते हुए कहा कि यह भूमि भगवान राम के चरण रज से पवित्र हुई है। चित्रकूट में आकर जो भी श्रद्धालु भगवान पर आस्था रखते हुए उनका नाम लेते हैं उनके पाप सहज ही नष्ट हो जाते हैं। प्रसिद्ध भागवताचार्य नवलेश दीक्षित ने कहा कि चित्रकूट चिंता हरण आए सुख के चैन, परिक्रमा डोलत फिरउ देख कामता नैन। चित्रकूट में स्थित भगवान कामदगिरि की परिक्रमा करते हुए सिर्फ उनको निहारते रहने से ही मनुष्य की चिंताओ का नाश हो जाता है।

पदमश्री विभूषित उमाशंकर पांडेय जिन्हे भारत सरकार ने जल संरक्षण के लिए किए गए कार्यों के लिए सम्मानित किया है उन्होंने लोगों को जल के एक-एक बूंद की कीमत समझाते हुए कहा कि जल बचाने के लिए हर मनुष्य को अधिक से अधिक संख्या में वृक्ष लगाना चाहिए। महोबा के संतोश कुमार पटेरिया ने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने एक मानव के रूप में जीवन यापन किया है। साधारण मानव को जीवन में आने वाली समस्याओं का हल सीमित साधनो में कैसे किया जाए इसकी प्रेरणा भगवान राम ने दी है। उन्होंने कहा कि पश्चिम सभ्यता के लोग राम और राम कथा पर प्रश्न चिन्ह लगा रहे है किन्तु राम द्वारा सामाजिक समरसता के संदेश को आलोचक रेखांकित नहीं कर रहे हैं। रांची झारखंड के डा जंगबहादुर पांडेय, डा संजय पंकज मुजफ्फरपुर बिहार, डा करुणाशंकर पाठक रीवा ने भी राम व राम कथा और रामायण मेले की सार्थकता पर अपने व्याख्यान दिए। इस मौके पर पूर्व विधायक दिनेश मिश्र, शिवमंगल शास्त्री, डा घनश्याम अवस्थी, प्रद्युम्न दुबे लालू, राजाबाबू पांडेय, मो यूसुफ, कलीमुद्दीन बेग, हेमंत मिश्रा, मनोज मोहन गर्ग, ज्ञानचन्द्र गुप्ता, मो इम्त्याज उर्फ लाला, राजेन्द्र मोहन त्रिपाठी, आशीष पांडेय, भोलानाथ, विकास, दद्दू महराज आदि मौजूद रहे। 

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