गीता में बसती है भारत की आत्मा : जगद्गुरू देवाचार्य

नेहरू महाविद्यालय के तुलसी सभागार में संस्कृत भारती एव संस्कृत संस्कृति संस्थानम् उत्तर प्रदेश के तत्त्वावधान में भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष एवं बुदेलखण्ड विकास बोर्ड के...

Jan 11, 2021 - 12:53
Jan 11, 2021 - 13:15
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गीता में बसती है भारत की आत्मा : जगद्गुरू देवाचार्य

ललितपुर,

सुश्री उमा चौबे द्वारा बुन्देली में अनूदित श्रीमदभगवद्गीता का हुआ लोकार्पण

नेहरू महाविद्यालय के तुलसी सभागार में संस्कृत भारती एव संस्कृत संस्कृति संस्थानम् उत्तर प्रदेश के तत्त्वावधान में भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष एवं बुदेलखण्ड विकास बोर्ड के सदस्य प्रदीप चौबे की बहिन सुश्री उमा चौबे द्वारा बुंदेली भाषा में अनूदित श्रीमद्भगवद्गीता का जगदगुरू द्वाराचार्य मलूक पीठाधीश्वर डाॅ. स्वामी राजेन्द्रदास देवाचार्य जी महाराज के कर कमलों से समारोहपूर्वक विमोचन किया गया।

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इस अवसर पर आयोजित समारोह में उपस्थित संस्कृतज्ञों, विद्वानों, गणमान्य नागरिकों को सम्बोधित करते हुए जगदगुरू द्वाराचार्य मलूक पीठाधीश्वर डाॅ. स्वामी राजेन्द्रदास देवाचार्यजी महाराज ने कहा कि संस्कृत मात्र एक भाषा ही नही यह हमारी सनातन संस्कृति का अजस्र प्रवाह है। संस्कृत भारतवर्ष की आत्मा है। यह सम्पूर्ण विश्व की अमूल्य धरोहर है। संस्कृत भाषा में निहित ज्ञान विज्ञान, व्यक्ति और समाज के सर्वांगीण विकास के लिए श्रेष्ठतम भाषा है। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता मनुष्य को कर्मयोग के पथ पर चलना खाती है। गीता में भारत की आत्मा बसती है। गीता जीवन और संसार की चुनौतियों से सामना करने का संदेश देती है।

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उन्होंने कहा कि कुरूक्षेत्र में भगवान कृष्ण ने अर्जुन को महाभारत युद्ध के दौरान गीता ज्ञान दिया था। गीता ज्ञान शास्वत सत्य है। गीता दर्शन की इसी देश में ही नही अपितु विदेशों तक में बड़ी मान्यता है। गीता विश्व का महान ग्रथ है। गीता के उपदेशों को आत्मसात कर जीवन की अनेक व्याधियों से आसानी से मुक्ति प्राप्त की जा सकती है। श्रीमद भगवतगीता विश्व का महान ग्रंथ है। इसमें वेदों, उपनिषदों शास्त्रों एवं पुराणों का सार निहित है। गीता में जीवन की नश्वरता, आत्मा की अमरता, सत्य कीस्थापना एवं धर्म की रक्षा का संदेश समाहित है। जो विश्व साहित्य में दुर्लभ है। उन्होंने कहा कि बुंदेली भाषा में श्रीमद्भगवद्गीता का अनुवाद होने से बुंदेलखण्ड के ग्रामीण परिवेश के लोगों को गीता के सार तत्व को समझने में सरलता होगी। सुश्री उमा चौबे द्वारा गीता के बुन्देली अनुवाद की उन्होंने मुक्तकंठ से प्रशंसा की।

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संस्कृत भारती के जिलाध्यक्ष डाॅ. ओमप्रकाश शास्त्री ने कहा कि हमारी बुंदेली भाषा बुंदेलखण्ड के उत्तर प्रदेश-मध्य प्रदेश के 17 जनपदों सहित आसपास के कई जिलों में बोली जाती है। परमविदुषी बहिन उमा चैबे ने इस कमी को समझा और कई वर्षो  की मेहनत के बाद बुदेली भाषा में श्रीमद्भगवद्गीता का अनुवाद किया। निश्चित रूप से इस प्रयास से बुंदेलखण्ड के जनसामान्य मातायें, बहिनें, ग्रामीण गीता के भाव को एवं मर्म को समझ सकेंगे।

इस अवसर पर बुंदेली भाषा में अनुवाद करने का अनुभव बताते हुए सुश्री उमा चौबे ने कहा कि मुझे विद्यार्थी जीवन से बुंदेली भाषा से अत्यन्त अनुराग व प्रेम था तथा अध्यापनकाल के दौरान मैंने जब गीता का अध्ययन किया तो बुंदेली मे  गीता का अनुवाद करने का संकल्प मजबूत हुआ। आज पूज्य जगद्गुरू देवाचार्य जी महाराज के द्वारा पुस्तक का विमोचन होने से हमारा यह परिश्रम कृतार्थ हुआ

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नेमवि प्रबन्धक एवं बुंदेलखण्ड विकास बोर्ड के सदस्य प्रदीप चौबे ने पूज्य जगदगुरू देवाचार्य जी सहित समारोह में पधारे विद्वानों, संतों, गणमान्य नागरिकों का स्वागत करते हुए कहा कि गीता भारत की आत्मा है। पूज्य तिलक महाराज से लेकर राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी तक सभी महापुरूषों ने श्रीमदभगवद्गीता से प्रेरणा प्राप्त की है। श्रीमद्भगवद्गीता जैसे सर्वमान्य धर्मगंथ पर हमारी बहिन सुश्री उमा चौबे द्वारा बुंदेली में अनुवाद किए जाने पर हम सभी गौरवान्वित है।

प्रारम्भ में महाविद्यालय के प्रबंधक प्रदीप चौबे, प्राचार्य डाॅ. अवधेश अग्रवाल ने पादुका पूजन सम्पन्न किया। संस्कृत भारती एवं संस्कृत संस्कृति संस्थानम् की ओर से संस्कृत भाषा एवं साहित्य के क्षेत्र में श्रेष्ठतम कार्य करने हेतु आचार्य डाॅ. बलबहादुर त्रिपाठी बलभद्र, आचार्य डाॅ. जगदीश शर्मा, पं.रामसेवक पाठक किंकर, पं. बाबूलाल द्विवेदी एवं सुश्री उमा चौबे को श्रीफल, शाल एवं सम्मान पत्र भेंटकर सम्मानित किया गया।

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इस अवसर पर महंत गंगादासजी महाराज, महंत बलरामपुरी जी महाराज, महंत कृष्णगिरि महाराज, महंत त्यागीजी महाराज, आरएसएस के जिला प्रचारक आलेख जी, नगर प्रचारक यश जी, उ.प्र.शासन के राज्यमंत्री मनोहर लाल पंथ, सदर विधायक रामरतन कुशवाहा, भाजपा जिलाध्यक्ष जगदीश सिंह लोधी एडवोकेट, नगर पालिका अध्यक्ष श्रीमती रजनी घनश्याम साहू, निखिल तिवारी, हरीराम निरंजन, बब्बूराजा बुंदेला, अशोक गोस्वामी, अजय पटैरिया, अशोक रावत, उपप्रबंधक हरदयाल सिंह लोधी, अध्यक्ष शरद खैरा, उपाध्यक्ष विलास पटैरिया, गोविंद व्यास, आदि उपस्थित रहे। समारोह का संचालन डाॅ. ओमप्रकाश शास्त्री ने किया।अंत में प्राचार्य डाॅ. अवधेश अग्रवाल ने सभी का आभार जताया।

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